जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार, कौशल नियोजन और उद्यमिता विभाग की ओर इन नए सोलर प्लांट्स का आईटीआई के विद्यार्थियाें के लिए सौर ऊर्जा से संबंधित कोर्स के लिए प्रशिक्षण सुविधा के रूप में उपयोग किया जाएगा. जिन आईटीआई संस्थानों में सोलर पावर प्लांट्स लगाए जाएंगे, वहां विभाग की ओर से परम्परागत विद्युत उपभोग में मासिक, त्रैमासिक और वार्षिक आधार पर बचत का तथ्यात्मक विश्लेषण करवाया जाएगा.
बता दें, प्रदेश के सभी 218 राजकीय आईटीआई में लगभग 5527 किलोवाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना प्रस्तावित है. यह कार्य राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक एण्ड इन्स्टूमेंट्स लिमिटेड (रील) के माध्यम से कैपेक्स मॉडल के तहत कराए जाएंगे. इसमें प्लांट की स्थापना के लिए राशि का निवेश और वार्षिक रख-रखाव और साफ-सफाई का खर्च संबंधित राजकीय संस्थान या विभाग की ओर से किया जाता है.
प्लांट की स्थापना के बाद संस्थान में उपभोग से शेष रही बिजली का विद्युत वितरण कंपनी की ओर से निर्धारित दर पर क्रय किया जाता है. ऐसे में संबंधित आईटीआई को साल में लगभग 70 से 100 दिन के शैक्षणिक अवकाश की अवधि में बिजली के खर्च में हुई बचत से अतिरिक्त पैसा मिल सकता है.
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राज्य बजट में वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2020-21 के दौरान विभिन्न जिलों में 14 आईटीआई खोलना प्रस्तावित किया गया है. साथ ही 4 अन्य आईटीआई परिसरों में कौशल विकास केन्द्र स्थापित किए जाने हैं. इन सभी आईटीआई संस्थानों में नए भवनों के निर्माण के साथ-साथ लघु सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित किए जाएंगे. इसके लिए भवन निर्माण की कार्यकारी एजेंसियों को सोलर प्लांट स्थापना के लिए राशि सीधे हस्तांतरित की जाएगी.