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Ground Report : जयपुर में स्थिति बदहाल, छोटे नाले कचरे से अटे पड़े, बड़े नालों की सफाई का टेंडर ही पास नहीं किया

प्री मानसून (Pre monsoon) में ही जयपुर में नालों का पानी सड़कों पर आ गया है. एक तरफ प्रशासन नालों की सफाई के दावा कर रहा है. दूसरी तरफ नालों की दुर्दशा जयपुर निगम के दावों की पोल खोल रहे हैं.

Jaipur Municipal corporation, Jaipur News
जयपुर में नालों का हाल बदहाल

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Published : Jul 7, 2021, 7:54 PM IST

जयपुर. राजधानी में नालों की सफाई कागजों तक ही सीमित है. एसी वाले कमरों में बैठकर अधिकारी 90 फीसदी से ज्यादा नालों की सफाई का दावा कर रहे हैं लेकिन हकीकत ये है कि छोटे नाले मलबे और कचरे से अटे हुए हैं. दूसरी ओर बड़े नालों की सफाई का तो टेंडर ही नहीं निकाला गया है.

15 जून तक जयपुर के सभी 973 नालों की सफाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जुलाई का एक सप्ताह बीत जाने के बाद काम अधूरा पड़ा है. कार्य प्रगति की रिपोर्ट में सामने आया कि 60 फीसदी नाले ही साफ हो पाए हैं. मानसून (Monsoon) से पहले निगम की ओर से जोन वार टेंडर किए गए. जिससे नालों का कचरा और मलबा निकाल कर पानी की सुगम निकासी की जा सके. चूंकि इस बार मौसम विभाग के अनुसार मानसून सामान्य से बेहतर रहने वाला है. ऐसे में मार्च महीने में ही नालों की सफाई के टेंडर कर दिए गए.

जयपुर में नालों का हाल बदहाल पार्ट 1

जयपुर में नालों की सफाई नहीं होने से आलम ये है कि प्री मानसून की बारिश में नालों का पानी सड़कों पर इकट्ठा हो गया. नतीजन क्षेत्र वासियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. लोगों ने बताया कि बीते 4 साल से यही स्थिति बनी हुई है. हर साल कई शिकायतें करने के बाद भी निगम प्रशासन यहां आकर झांकता तक नहीं. ये नाले गंदगी से अटे हुए हैं. ये नाले आवारा पशुओं का घर बन चुके हैं. कहीं ना कहीं बीमारियों को न्योता भी दे रहे हैं.

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जयपुर निगम प्रशासन (Jaipur Municipal corporation) की मानें तो नालों की सफाई के लिए जोन वाइज अलग-अलग टेंडर किए हैं. जहां तक बड़े नालों की बात है, उन्हें निगम के संसाधनों से ही नियमित प्रक्रिया के तहत साफ किया जाता है. उसके लिए अलग से टेंडर नहीं किया गया. फिलहाल, इन नालों को लिमिटेड लेवल पर ही साफ कराया गया है.

जयपुर में नालों का हाल बदहाल पार्ट 2

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उधर, शहर के कई बड़े नालों का आलम ये है कि गहराई 10 से 12 फुट होने के बावजूद अब वहां 3 से 4 फुट गहराई नजर आ रही है. बाकी हिस्से में मलबा और कचरा इकट्ठा है. जिसे निकालने की जहमत तक नहीं उठाई गई है. इन बड़े नालों की सफाई का ना तो टेंडर किया गया है और ना ही निगम ने अपने संसाधन लगाकर इनकी सफाई कराई.

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नतीजन क्षेत्रीय लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश है. साथ ही डर है कि कहीं बीते साल अगस्त से सितंबर में जो हालात बने उससे दोबारा दो चार ना होना पड़े. बहरहाल, कागजों में नालों की सफाई दिखाने से धरातल पर हालात नहीं सुधरने वाले. इससे निगम के अधिकारियों का भी शायद कोई सरोकार नहीं क्योंकि भुगतना तो शहर की आम जनता को है.

नालों की स्थित बदहाल

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