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झुलसे चेहरों को मिल सकेगी नई पहचान, जयपुर में बनने वाला स्किन बैंक करेगा सपने साकार

जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में स्कीन बैंक (Skin Bank In Jaipur) तैयार होगा. सुपर स्पेशलिटी सेंटर (SMS Super Speciality Centre) में इसे बनाया जाएगा. खासियतें क्या होंगी, किसे इससे लाभ होगा? आईए जानते हैं इस रिपोर्ट में.

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Published : Feb 12, 2022, 10:32 AM IST

Updated : Feb 12, 2022, 12:45 PM IST

Skin Bank In Jaipur
जयपुर में स्किन बैंक

जयपुर. जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में लंबे समय से स्किन बैंक (Skin Bank In Jaipur) बनाने की कवायद चल रही है. कई बार इससे लेकर चर्चा हुई लेकिन सही जगह और संसाधनों की कमी के चलते स्किन बैंक ख्वाब बन कर रह गया था. अब इस ख्वाब की तामील हो रही है. हॉस्पिटल के सुपर स्पेशलिटी सेंटर में स्किन बैंक तैयार किया जा रहा है.

खासियतें तमाम!: इस बैंक में माइनस 20 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक स्किन को सुरक्षित रखा जा सकेगा. इससे होगा ये कि एसिड विक्टिम (Acid Victim Treatment In Jaipur Skin Bank) और किसी हादसे में झुलसे मरीज को लाभ मिल सके. सबसे बड़ी बात स्किन बैंक में 6 माह से लेकर 3 साल तक स्किन को सुरक्षित रखा जा सकेगा.

स्किन बैंक से होगा एसिड विक्टिम्स को लाभ

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निजी संगठन की मदद से सपना साकार: SMS अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के यूनिट हेड डॉक्टर राकेश जैन बताते हैं कि निजी संगठन ने इस सपने (Skin Bank In Jaipur) को सच करने में मदद की है. उन्होंने बताया कि लंबे समय से एसएमएस अस्पताल में स्किन बैंक बनाने की कवायद चल रही थी जिसका रास्ता अब साफ हुआ है.

दरअसल लंबे समय से जगह और उपकरणों की कमी के कारण यह स्क्रीन बैंक शुरू नहीं हो पा रहा था. अब रोटरी क्लब के माध्यम से संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं तो जल्दी नए सुपर स्पेशलिटी सेंटर में इस बैंक को शुरू किया जा सकेगा. डॉक्टर जैन ने बताया कि हर साल काफी बड़ी संख्या में हादसों में झुलसे मरीज s.m.s. अस्पताल पहुंचते हैं और अत्यधिक झुलस जाने के कारण कई बार इन्फेक्शन से उनकी मौत भी हो जाती है लेकिन अब स्किन बैंक के बन जाने के कारण ऐसे मरीजों की जान बचाई जा सकेगी.

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किसकी ली जा सकती है स्किन: आमतौर पर ब्रेन डेड मरीज के ऑर्गन जरूरतमंद व्यक्तियों को लगाए जाते हैं तो ऐसे में अब इन ब्रेन डेड मरीजों की स्किन भी किसी भी मरीज का जीवन बचा सकेगी? डॉक्टर जैन का कहना है कि ब्रेन डेड हो चुके मरीज की स्किन इस स्क्रीन बैंक (Skin Bank In Jaipur) में सुरक्षित रखी जा सकेगी और इसके लिए अजमेर, उदयपुर बीकानेर, कोटा मेडिकल कॉलेज में ऑर्गन ट्रांसप्लांट रिट्रायबल सेंटर बनाया गया है. ऑर्गन ट्रांसप्लांट रिट्रायबल सेंटर्स पर आने वाले ब्रेन डेड मरीजों की स्किन भी जीवन बचाने में मददगार साबित होगी. डॉक्टर जैन बताते हैं कि इस प्रोसेस में सिर्फ हाथ और पैर की स्किन ही काम में ली जाती है.

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एसिड विक्टिम को मिलेगा लाभ: डॉ राकेश जैन का कहना है कि उत्तर भारत का यह सबसे बड़ा स्किन बैंक होगा. यहां एसिड विक्टिम का इलाज भी संभव हो सकेगा. इसके अलावा ऐसे मरीज जो 50 फ़ीसदी से अधिक झुलस चुके हैं उन्हें नया जीवनदान दिया जा सकेगा.

कैसे फैलता है संक्रमण?: अत्यधिक झुलस जाने के कारण मरीज के शरीर से प्रोटीन लॉस और इलेक्ट्रोलाइट फ्लूड की कमी होने लगती है. इससे मरीज के शरीर में संक्रमण फैल जाता है. इस तरह के मरीजों की अगर स्किन ड्राफ्टिंग कराई जाएगी तो निश्चित तौर पर संक्रमण रुक सकेगा. हालांकि शरीर कुछ समय बाद यह स्किन रिजेक्ट कर देगा लेकिन इतने समय तक मरीज रिकवर हो चुका होगा.

Last Updated : Feb 12, 2022, 12:45 PM IST

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