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नहीं मिल पाया 16 करोड़ का इंजेक्शन, राजस्थान की नूर फातिमा ने दुनिया को कहा अलविदा - स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी

हैदराबाद का रहने वाला 3 साल का बच्चा अयांश गुप्ता खुशकिस्मत था, जिंदगी की जंग जीत गया. लेकिन राजस्थान की 'नूर' ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, क्योंकि उसे 16 करोड़ का इंजेक्शन नहीं मिल पाया...

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राजस्थान की नूर फातिमा ने दुनिया को कहा अलविदा

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Published : Jun 15, 2021, 11:21 AM IST

जयपुर.प्रदेश के बीकानेर जिले के रामदेव मंदिर के पास मोहल्ला चुंगरानं की रहने वाली साढ़े छह माह की नूर फातिमा ने इलाज के अभाव में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. नूर फातिमा को बीकानेर के एक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.

यह वही नूर फातिमा है, जिसको 16 करोड़ के Zolgensma इंजेक्शन की सख्त जरूरत थी. लेकिन अफसोस की बात यह रही कि नूर फातिमा के लिए 16 करोड़ का बंदोबस्त नहीं हो सका और सर्वाइवल मोटर न्यूरॉन (SMN) नाम की बीमारी की वजह से नूर फातिमा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

हालांकि, सामाजिक संगठनों और हिंदुस्तान की जनता की तरफ से लगातार नूर फातिमा की मदद की जा रही थी. कुछ पैसे जमा भी हो गए थे, लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था. 16 करोड़ का बंदोबस्त नहीं हो सका और आज उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. इस तरह से नूर फातिमा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है उसके बाद में सिस्टम पर सवालिया निशान भी खड़ा होता हुआ नजर आ रहा है.

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वहीं, अब सोशल मीडिया पर लगातार नूर फातिमा के लिए दुआएं की जा रही हैं और खुदा से यह इल्तजा की जा रही है कि नूर फातिमा को जन्नतुल फिरदोस में आला से आला मुकाम अता फरमाए. श्रद्धांजलि भी नूर फातिमा को सोशल मीडिया के जरिए दी जा रही है. बता दें कि नूर फातिमा को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बड़ी मांग 16 करोड़ के इंजेक्शन को लेकर की गई थी, लेकिन वहां से भी मदद नहीं मिल सकी.

SMA एक दुर्लभ जेनेटिक रोग है...

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) एक दुर्लभ जेनेटिक रोग है, जो न्यूरो मस्कुलर जंक्शन्स को प्रभावित करता है. ये टाइप 1 और टाइप 2, दो तरह की होती है. इसमें टाइप 1 अधिक गंभीर है. ये रोग सर्वाइवल मोटर न्यूरॉन (SMN1) जीन में जेनेटिक गड़बड़ी की वजह से होता है. ये जीन एसएमएन प्रोटीन को एनकोड करता है जो मोटर न्यूरॉन्स के सर्वाइव करने के लिए जरूरी होता है.

बता दें कि हैदराबाद का रहने वाला 3 साल का बच्चा अयांश गुप्ता भी एसएमएन जैसी दुर्लभ जेनिटक बीमारी से पीड़ित था. जिसके बाद काफी कोशिशों के बाद Zolgensma इंजेक्शन नाम की ड्रग हैदराबाद लाई गई और बच्चे को इसे दिया गया, जिससे उसकी जान बची.

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