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जयपुर की शादियों में अब नहीं दिखेगा सिंगल यूज प्लास्टिक, मैरिज गार्डन संचालक और कैटरर्स ने शुरू की अनोखी पहल - jaipur news

जयपुर में शादियों का सीजन को देखते हुए मैरिज गार्डन संचालक और कैटरर्स ने शादियों में प्लास्टिक मैटेरियल इस्तेमाल नहीं करने की पहल की है. जिसके तहत वे आयोजकों के सामने डिस्पोजल की जगह अब लकड़ी और कागज से बने डिस्पोजल इस्तेमाल करने की शर्त रख रहे हैं.

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Published : Nov 6, 2019, 9:10 PM IST

जयपुर.राजधानी के मैरिज गार्डन संचालक और कैटरर्स भी सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशभर में चल रही मुहिम से अब जुड़ गए हैं. जहां एक ओर मैरिज गार्डन संचालक बुकिंग के दौरान आयोजकों के सामने प्लास्टिक मैटेरियल इस्तेमाल नहीं करने की कंडीशन रख रहे हैं. वहीं कैटरर्स खुद प्लास्टिक के डिस्पोजल की जगह अब लकड़ी और कागज से बने डिस्पोजल इस्तेमाल कर रहे हैं.

जयपुर में शादियों में नहीं दिखेगा सिंगल यूज प्लास्टिक

बता दें कि 2 अक्टूबर से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान शुरू हुआ. जयपुर के लोग भी अब इससे धीरे-धीरे जुड़ रहे हैं. इस क्रम में शहर के मैरिज गार्डन संचालक और कैटरर्स भी आगे आए हैं. देवउठनी एकादशी यानी 8 नवंबर से एक बार फिर शादियों का दौर शुरू होगा. इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक की रोकथाम के लिए मैरिज गार्डन संचालक आयोजकों को बुकिंग के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक को काम में नहीं लेने के लिए बाध्य कर रहे हैं.

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इस संबंध में जयपुर विवाह स्थल समिति के अध्यक्ष भवानीशंकर माली ने बताया कि अब जो भी बुकिंग की जा रही है, उनमें कंडीशन लिखी गई है. बुकिंग फॉर्म में बकायदा मैरिज गार्डन में सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने का एक नोट लिखा है. जिस पर आयोजकों से हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब से पहले जो बुकिंग हो चुकी हैं, उन्हें भी इस संबंध में जागरूक किया जाएगा. विवाह स्थल समिति ही नहीं जयपुर के कैटरर्स भी प्रधानमंत्री की पर्यावरण को लेकर शुरू की गई इस पहल के साथ जुड़ रहे हैं.

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शादियों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के डिस्पोजल की जगह अब कैटरर्स कागज की लुगदी और लकड़ी से बने प्लेट, दोने, चम्मच, गिलास आदि का इस्तेमाल करने के लिए आयोजकों को मना रहे हैं. इस संबंध में कैटर्र अनिल ठाकुरिया ने बताया कि प्लास्टिक के सामानों की जगह अब लोगों की सहूलियत के हिसाब से कागज और लकड़ी का डिस्पोजल शादी पार्टी में लगाया जा रहा है. इसके अलावा पत्ते की पत्तल, दोने और क्रोकरी का इस्तेमाल किया जाएगा.

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उन्होंने कहा कि हालांकि इसकी रेंज में प्रति व्यक्ति 3 से 5 रुपए का अंतर आ रहा है. लेकिन उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ इसकी रेट भी प्लास्टिक के डिस्पोजल के समान होने की उम्मीद है. राजधानी में अब तक 600 से ज्यादा गार्डन बुक हो चुके हैं. ऐसे में यदि इन शादी पार्टी में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होता है तो प्लास्टिक के खिलाफ जंग में ये एक बहुत बड़ी जीत होगी.

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