जयपुर.वैश्विक महामारी कोरोना काल में फ्रंट लाइन पर काम करने वाले कोरोना वारियर्स ने ऐसे अनेक अनुभव किए हैं और ऐसी घटनाएं देखी हैं, जो शायद ही आज तक कोई देख पाया है. राजस्थान के सबसे बड़े कोविड अस्पताल आरयूएचएस में ड्यूटी के दौरान हुए अनुभवों को आमजन के साथ साझा करते हुए राजस्थान पुलिस के सब इंस्पेक्टर सुंदर लाल ने एक किताब 'सन 2020 एक पहेली' लिख डाली. एसआई सुंदर लाल ने इस किताब में 37 कविताओं के माध्यम से कोरोना का काल के दौरान उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों का बखूबी जिक्र किया है.
इस किताब को लेकर अपने अनुभवों को ईटीवी भारत के साथ साझा करते हुए जयपुर कमिश्नरेट के प्रताप नगर थाने में तैनात एसआई सुंदर लाल ने बताया कि मार्च 2020 में पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया. इसी दौरान उनकी ड्यूटी राजस्थान की सबसे बड़ी कोविड डेडीकेटेड अस्पताल आरयूएचएस में लगाई गई. अपने साथियों के साथ एसआई सुंदर लाल ने लगातार 5 महीने तक अस्पताल में ड्यूटी की और इस दौरान उन्हें जो भी अनुभव हुए उन तमाम अनुभवों को कविताओं में पिरोते हुए एक किताब 'सन 2020 एक पहेली' लिख डाली.
4 महीने में लिखी पूरी किताब
एसआई सुंदर लाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि कोविड डेडीकेटेड अस्पताल में ड्यूटी करने के साथ ही उन्होंने समय निकालकर इस किताब को लिखना शुरू किया और 4 महीने में किताब को पूरा किया. अस्पताल में 24 घंटे रहना और ड्यूटी करना एक चुनौती थी और इसके साथ ही अपने साथियों का मनोबल बढ़ा कर उन्हें प्रेरित करते रहने का एक बड़ा दायित्व भी था.
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इस दौरान उन्हें अनेक बेहद मार्मिक और संवेदनशील स्थितियों से गुजरना पड़ा. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते जो भी घटनाक्रम घटित हुए चाहे वह मजदूरों का पलायन हो, राजनीतिक घटनाक्रम हो या फिर अन्य परिस्थितियां हो, उन तमाम चीजों को ध्यान में रखकर इस किताब को लिखने का काम किया.
'कोरोना मृत्यु का काल्पनिक रहस्य' शीर्षक कविता ने पाठकों को झकझोर दिया
एसआई सुंदरलाल ने किताब में 'कोरोना मृत्यु का काल्पनिक रहस्य' नामक शीर्षक से एक कविता लिखी और जिसने भी उस कविता को पढ़ा वह अंदर तक हिल गया. इस कविता के माध्यम से उन्होंने बताया कि किस तरह से वैश्विक महामारी कोरोना काल में अस्पताल में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद मृतक को कफन तक नसीब नहीं होता था. मृतक के शरीर को प्लास्टिक में लपेट दिया जाता और ना हीं मृतक के अंतिम संस्कार की तमाम रस्में की जाती. मृतक के परिजन तक इतने डरे हुए थे कि वह मृतक की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करते थे. इस कविता की कुछ पंक्तियां इस प्रकार है:-
न हुआ मेरा अंतिम स्नान, न हुई कोई चीख-चित्कार।
मेरी अर्थी को भी नहीं मिला, किसी भी कंधे का प्यार।।
कपाल क्रिया नहीं हुई मेरी, न मेरा बेटा आया पास।
अस्थि विसर्जन पिंडदान, मेरा कुछ भी नहीं हुआ खास।।
ना मेरी पत्नी रोई, ना हुआ कोई गरुड़ पुराण।
सगे-संबंधी भी नहीं आए, न हुआ कोई विधि विधान।।
इसके अलावा इस किताब में एसआई सुंदर लाल द्वारा 'हम दुनिया को बचा लेंगे', 'जिंदा भगवान', 'मैंने संवेदना को मरते देखा', 'मुर्दे को अकेले ही जलना होगा', 'वह शहर छोड़कर जा रहा', 'लोकतंत्र की अर्थी' आदि अनेक शीर्षक से कविताएं लिखी.
किताब के माध्यम से लोगों को दे रहे गाइड लाइन की पालना करने का संदेश
एसआई सुंदर लाल ने बताया कि इस किताब के माध्यम से वह लोगों को कोरोना की वास्तविक और भयावह स्थिति से रूबरू कराने के साथ ही सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की पालना करने का संदेश दे रहे. सुंदर लाल ने बताया कि मौजूदा वक्त में स्थितियां बेहद विपरीत हैं और यदि कोई भी गाइडलाइन की पालना नहीं करता है और लापरवाही बरतना है, तो उसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है. इसके साथ ही उन्होंने यह संदेश भी दिया है कि आमजन खुद का और अपने परिवार का ध्यान रखें, गाइडलाइन की पूरी पालना करें और सुरक्षित व स्वस्थ रहे. सुंदर लाल ने बताया कि ड्यूटी के दौरान विषम परिस्थितियों में काम करने और किताब लिखने के लिए प्रेरित करने में कमिश्नरेट के तमाम आला अधिकारियों का सहयोग उन्हें प्राप्त हुआ.