जयपुर. यूं तो भगवान श्री कृष्ण के असंख्य भक्त हैं, लेकिन मीरा जैसी उनकी ना कोई भक्त हुई, ना कोई होगी. मीरा ने भगवान श्री कृष्ण की जिस प्रतिमा की उपासना की, उसी प्रतिमा को जयपुर के जगत शिरोमणि मंदिर में विराजमान कराया गया. खास बात यह है कि यहां भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ राधा या रुकमणी नहीं बल्कि मीरा पूजी जाती हैं. कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं.
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मथुरा वृंदावन में प्रसिद्ध भगवान कृष्ण मंदिर में राधा की प्रतिमा विराजमान है. इसी तरह देश में भगवान कृष्ण के कई मंदिर है, लेकिन आमेर के जगत शिरोमणि मंदिर की अलग ही खासियत है. जगत शिरोमणि मंदिर में कृष्ण और मीरा के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है. मंदिर का निर्माण हिंदू वास्तुशिल्प के आधार पर करवाया गया था.
इस मंदिर में दूरदराज से अपनी मनोकामनाएं लिए भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. जगत शिरोमणि मंदिर पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहता है. जगत शिरोमणि मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है, जो कि भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है.
राजा मानसिंह ने करवाया था मंदिर का निर्माण
आमेर स्थित जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम ने पत्नी महारानी कनकवती के कहने पर करवाया गया था. राजा ने अपने पुत्र जगत सिंह की याद में मंदिर बनवाया था. महारानी की इच्छा थी कि उनके पुत्र को इस मंदिर के माध्यम से सदियों तक याद किया जाए. इसी वजह से मंदिर का नाम जगत शिरोमणि रखा गया. मंदिर का निर्माण कार्य 1599 ईस्वी में शुरू हुआ था और 1608 में मंदिर बनकर तैयार हुआ था. जगत शिरोमणि मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस मंदिर में वही कृष्ण की मूर्ति स्थापित है, जिसकी मीरा पूजा करती थी.
भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
जगत शिरोमणि मंदिर में देश-विदेश से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसीलिए लोग यहां पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. दिन भर भक्तों का आना जाना लगा रहता है. यहां आने वाले भक्तों मंदिर में अपने फोटोग्राफ से भी लेते हैं. इन खूबसूरत पलों की यादों को संजोकर अपने साथ ले जाते हैं.
मंदिर की बनावट और सुंदरता काफी अद्भुत
जगत शिरोमणि मंदिर की बनावट और सुंदरता काफी अद्भुत है, जो कि पर्यटकों के लिए भी काफी आकर्षण का केंद्र हैं. यह मंदिर आमेर किले के पास में स्थित है आमेर किले के ऊपर से भी मंदिर दिखाई देता है. वहीं, मंदिर से आमेर का किला भी बहुत खूबसूरत नजर आता है. जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर और काले पत्थर से किया गया है. मंदिर में ऊंचाई पर हाथी-घोड़े और पुराणों के दृश्य का कलात्मक चित्रण है.
इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि मीराबाई की ओर से पूजित विग्रह चित्तौड़ में था, जिसको राजा मानसिंह चित्तौड़ विजय के उपरांत आमेर में लेकर आए. क्योंकि भगवान कृष्ण का विग्रह वहां पर अकेला हो गया था. विग्रह की स्थिति को ताजा रखने के लिए मंदिर बनवाने की बात कही गई थी. राजा मानसिंह की पत्नी कनकावत ने पुत्र जगत सिंह के नाम से मंदिर बनवाया. मंदिर का नाम जगत शिरोमणि रखा गया.
मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा का विग्रह भी है. यह वही विग्रह जिसकी मीराबाई पूजा किया करती थी. यहां एक मंडप है जिसमें भगवान श्री कृष्ण का मीराबाई के साथ विवाह करवाया गया था. यह मंदिर करीब 20 फीट नीचे चबूतरे पर बना हुआ है. मंदिर का एक तोरण द्वार है, जो कि विश्व में एकमात्र है. भगवान श्री कृष्ण के सामने गरुड़ की प्रतिमा स्थापित की गई है. इस मंदिर की खास विशेषता यह है कि मीराबाई श्री कृष्ण की प्रधान भक्त मानी जाती थी, उसका सबसे बड़ा नमूना इस मंदिर में है.
मंदिर पुजारी गौरव शर्मा ने बताया कि जगत शिरोमणि मंदिर मीरा के गिरधर गोपाल का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की वही मूर्ति है जिसकी मीराबाई पूजा किया करती थी। ऊपर की तरफ भगवान विष्णु की प्रतिमा है और नीचे कृष्ण मीरा की प्रतिमा विराजमान है. 16 वीं सदी में मंदिर बना था. भगवान कृष्ण के देश में कई मंदिर हैं. जिनमें कृष्ण भगवान के साथ राधा या रुकमणी की प्रतिमा होती हैं, लेकिन इस मंदिर में यह खासियत है कि यहां पर भगवान कृष्ण के साथ मीराबाई विराजमान है. पूरे विश्व में इस मंदिर की अलग ही पहचान है. मंदिर में भक्तों की काफी आस्था है. यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.