जयपुर. दिवंगत परिजनों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा 2 सितंबर से शुरू होंगे. हालांकि, ज्योतिषविदों के मुताबिक पूर्णिमा का श्राद्ध एक दिन पहले मंगलवार को ही किया जाएगा. ज्योतिषविदों के मुताबिक सुकर्मा योग और शतभिषा नक्षत्र में बुधवार से श्राद्ध शुरू हो रहे हैं. हालांकि कोरोना के चलते सामाजिक दूरी की पालना के साथ पंडित पुरोहित अनुष्ठान करवाएंगे. इस साल पितृपक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा और इसके बाद मलमास आरंभ हो जाएगा.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि पितरों की पूजा का श्राद्ध पक्ष बुधवार से हो रहा है, लेकिन पितृपक्ष का पहला श्राद्ध अगस्त मुनि को होता है, जो भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को है. इसलिए मुनि के नाम पर आज पूजन किया जाएगा और प्रतिपदा का पहला पितृ श्राद्ध कल है. उन्होंने बताया कि पितृपक्ष में हर साल पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और हवन भी किया जाता है. सभी लोग अपने-अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध करते हैं. माना जाता है कि जो लोग पितृपक्ष में पितरों का तर्पण नहीं करते, उन्हें पित्रृ दोष लगता है. श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती हैं और वे प्रसन्न होकर पूरे परिवार को आशीर्वाद देते हैं.
उन्होंने बताया कि इस साल पितृपक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा और मलमास आरंभ हो जाएगा. अंतिम श्राद्ध यानी अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को होगा. पूर्णिमा का श्राद्ध 2 सितंबर को होगा, जबकि पंचमी का श्राद्ध 7 सितंबर को किया जाएगा. पितृपक्ष के दौरान 13 सितंबर को एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा. हर साल लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए बिहार के गया जाकर पिंडदान करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना काल में यह संभव नहीं दिख रहा है. इस बार लोगों के गया जाकर पिंडदान करने पर रोक रहेगी. सभी लोग अपने घर पर कर्मकांड और दान कर पाएंगे.