जयपुर. गणेश चतुर्थी पर भी वैश्विक कोरोना महामारी की काली छाया पड़ गई है. जिसके चलते इस बार गणेश महोत्सव की रौनक ओझल सी हो गई है. गणेश मंदिरों के पट बंद होने से विशेष अनुष्ठानों पर इसका असर पड़ा है. साथ ही गणपति के दरबार पर फूल-मालाएं और मोदक बेचने वाले दुकानदारों की आंखें भक्त को तरस रही हैं.
मंदिर के बाहर दुकान लगानेवाले की कमाई हुई बंद कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिरों के कपाट बंद हैं. भगवान श्रीगणेश को मोदक बहुत प्रिय है लेकिन भक्त भगवान को कोरोना के चलते मोदक का प्रसाद का चढ़ावा और ना ही फूल-माला चढ़ा पा रहे हैं.
कोरोना के खतरे को देखते हुए मंदिरों के पट बंद होने से मंदिरों के बाहर फूल-माला, प्रसाद सहित अन्य पूजन सामग्री बेचने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन दुकानदारों की रोजी-रोटी के कपाट बंद हो गए है. ऐसे में मंदिर बंद होने से रोजमर्रा की कमाई से जीवन यापन करने वाले दुकानदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
भक्त बाहर से ही माथा टेक कर जा रहे हैं एक दिन में 1500 कमानेवाले की कमाई 10 रु पर पहुंची
गणेश चतुर्थी पर जयपुर के मोती डूंगरी मंदिर में पहले लाखों की भीड़ उमड़ती थी, अब गणपति का दरबार बंद होने से कुछ ही भक्त बाहर से धोक लगा रहे हैं. वहीं प्रसाद के नाम पर सिर्फ कुछ ही भक्त मंदिर के द्वार पर मोदक चढ़ा रहे है. मंदिर के बाहर दुकान लगाकर प्रसाद सामग्री बेचने वाले दुकानदार सुरेश सैनी ने बताया कि उनके पिताजी यहां पिछले 60 सालों से दुकान लगा रहे हैं. गणेश चतुर्थी ही उनके लिए एक तरह से बहुत बड़ा त्योहार है, इसलिए वो इस दिन के लिए आस लगाएं बैठे रहते हैं लेकिन पिछले साल की तुलना में इस बार ना तो ग्राहक है और ना ही वो रौनक. पहले जहां एक दिन में मोदक बेचकर 1500 रुपये तक कमाते थे, वहां अब सिर्फ 10-20 रुपये ही कमा पा रहे हैं.
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गणेश मंदिरों के बाहर बरसों से फूल-माला बेचने वाले दुकानदारों पर भी आर्थिक संकट मंडराया हुआ है. ऐसे में वे सरकारी दुकान से मिलने वाले राशन से खुद और परिवार का पेट पाल रहे हैं. बस प्रथम पूज्य श्रीगणेश से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सब कुछ ठीक हो जाए और जिंदगी पटरी पर लौट आए.
फूल विक्रेताओं की कमाई धूल में मिली
सिद्धि विनायक मंदिर के बाहर पिछले 20 सालों से फूल-माला बेचने वाले गिरीश कुमार बताते हैं कि कोरोना के चलते सब कुछ बदल गया है. अब तो गणेश चतुर्थी पर बिक्री भी नहीं हो रही है. पहले जहां गणेश महोत्सव पर मेला सा उमड़ता था, वहां अब पता भी नहीं चल रहा कि कोई मेला भी आ रहा है.
हजारों की मोदक बेचनेवालों की कमाई ठप गिरीश दुखी होकर बताते हैं कि पहले जहां मालाएं बेचकर महीने में 1,000 से 2,000 रुपये तक कमाई होती थी, वहां अब पिछले महीने में ही उन्होंने सिर्फ 400 रुपये ही कमाई हुई है.
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इसके अलावा मोती डूंगरी गणेश मंदिर के बाहर विघ्नहर्ता गणेश भगवान की पूजन सामग्री और वस्त्र आधी बेचने वाले दुकानदार टीटू मेड़तवाल ने बताया कि वे पिछले 20 सालों से अपनी दुकान मंदिर के बाहर लगा रहे हैं. जहां सिर्फ रोली-मोली, चंदन सहित धार्मिक सामग्री बेची जाती है लेकिन कोरोना के चलते सब कुछ चौपट है. वे कहते हैं कि सुबह दुकान इस उम्मीद से खोलते है कि शाम तक कुछ कमाई हो जाएं लेकिन वो अब भगवान के भरोसे ही है.
पूजन समाग्री बेचने वालों को पूरे दिन रहता है भक्तों का इंतजार ऐसे में फूल-मालाएं और मोदक बेचने वाले दुकानदार विघ्नहर्ता श्रीगणेश से कोरोना महामारी से मुक्ति की प्रार्थना के साथ-साथ भक्तों को जल्दी से जल्दी दर्शन देने और खुद के रोजगार चलने की अरदास लगाएं बैठे हैं.