जयपुर. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे शिव कुमार पारीक का पार्थिव शरीर रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गया. कहने को शिवकुमार पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव थे लेकिन उनका वाजपेयी के साथ रिश्ता (Shiv kumar Pareek and Atal Bihari relation) बेहद खास था. लोग यह भी कहते हैं कि पारीक का अटल बिहारी के प्रति सेवाभाव वैसा ही था जैसा भगवान राम के प्रति उनके भक्त हनुमान का था. शिव कुमार पारीक हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी स्मृतियां आज भी उनके प्रशंसकों के दिलों में जीवंत है.
संघ में स्वयंसेवक थे शिवकुमार, दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद मिली थी जिम्मेदारी
83 साल की उम्र में शिव कुमार पारीक का देहांत हुआ लेकिन अटल बिहारी वाजपेई के साथ उनका जुड़ाव कैसे हुआ यह भी एक दिलचस्प कहानी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवारी बताते हैं कि शिव कुमार पारीक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे और वकालत भी करते थे. जब जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु हो गई तो उसके बाद जनसंघ और पार्टी को अटल बिहारी वाजपेयी की सुरक्षा की भी चिंता सताने लगी.
शिवकुमार पारीक का वाजपेयी के साथ था खास रिश्ता पढ़ें.नहीं रहे अटल के सारथी, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे शिवकुमार पारीक का निधन
उस समय नानाजी देशमुख ने वाजपेयी के साथ बतौर सुरक्षा और सहायक के तौर पर शिव कुमार पारीक को लगाने का नाम सुझाया था. लंबी कद काठी और घुमावदार मूछें रखने वाले शिव कुमार पारीक आरएसएस के मजबूत कार्यकर्ताओं में से एक थे और साल 1968 से वे अटल जी के साथ सहायक के रूप में कार्यरत रहे. अटल बिहारी वाजपेयी के निधन तक पारीक एक भाई के रूप में उनके साथ रहे.
पारीक-वाजपेयी का रिश्ता अटल
शिव कुमार पारीक भले ही स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के सचिव और सहयोगी रहे हों लेकिन उनका वाजपेयी के साथ रिश्ता एक छोटे भाई जैसा था. वाजपेयी का भी पारीक के प्रति काफी स्नेह था. वाजपेयी के जीवन का शायद ही कोई ऐसा यादगार पल, यादें और रहस्य होगा जिससे पारीक अनभिज्ञ रहे हों. ऐसा भी कह सकते हैं कि वाजपेयी के जीवन के हर पहलू में पारीक समाहित रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार और लेखक विजय त्रिवेदी कहते हैं कि वाजपेयी और शिव कुमार को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता और दोनों को अलग कर देखना ही अन्याय होगा.
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विजय त्रिवेदी बताते हैं कि शिवकुमार ने वाजपेई के साथ पूरा राजनीतिक जीवन को बिताया लेकिन वह हमेशा पर्दे के पीछे रहे. हमेशा यह देखते रहे कि उनका जो नेता है उसकी चमक बरकरार है. वाजपेयी और शिवकुमार का रिश्ता इसीलिए अटल माना जाता है क्योंकि वह लंबे समय तक एक दूसरे की छाया के रूप में साथ में रहे. अंतिम समय तक शिव कुमार पारीक ने वाजपेई की निस्वार्थ भाव से सेवा भी की और जब वाजपेई का निधन हुआ तब वाजपेयी के परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त वे इकलौते ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें अंत्योष्टि के समय चिता के करीब जाने दिया गया था. वाजपेई के निधन पर पारीक ने कहा था कि अब वो अनाथ हो गए हैं.
नहीं थी राजनीतिक लालसा
शिव कुमार पारीक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे और 1968 में अटल बिहारी वाजपेई के सहयोगी और सचिव के रूप में नियुक्त होने के साथ लंबे समय तक उनके संग राजनीतिक जीवन में भी रहे लेकिन कभी राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं पाली. वरिष्ठ भाजपा नेता घनश्याम तिवारी कहते हैं की राजनीति के शिखर और महानतम नेता अटल बिहारी वाजपेई के इतने नजदीक होने के बावजूद कभी शिव कुमार पारीक ने कोई टिकट या पार्टी में पद नहीं मांगा और निस्वार्थ भाव से वाजपेयी के साथ जुड़े रहे.
जयपुर से था गहरा नाता, राजनेताओं ने व्यक्ति की संवेदना
शिव कुमार पारीक मूलता जयपुर से ही थे. लंबे समय तक वह जयपुर के परकोटा स्थित पुरानी बस्ती में रहे फिर अचरोल में उनका नया ठिकाना रहा. हालांकि जीवन का अधिकतर समय शिव कुमार पारीक ने अटल बिहारी वाजपेई के साथ ही गुजारा. अब जब वह इस दुनिया में नहीं रहे तब भी उनकी स्मृतियां सबके जहन में शेष है. शिव पारीक के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत कई राजनेताओं व संघ पदाधिकारियों ने संवेदनाएं व्यक्त की हैं.