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जयपुर में लगे 'जहां हुए बलिदान भगत सिंह, वो लाहौर हमारा है' नारे - लाहौर हमारा है

जयपुर में आज बुधवार को राजा पार्क स्थित शहीद भगत सिंह पार्क में 'जहां हुए बलिदान भगत सिंह, वो लाहौर हमारा है' के नारे लगते दिखे. बुधवार को राजापार्क स्थित शहीद भगत सिंह पार्क में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की मूर्ति और छाया चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि कार्यक्रम (Shaheed Diwas) आयोजित किया गया था.

Shaheed Diwas program in Jaipur
जयपुर में लगे नारे

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Published : Mar 23, 2022, 12:00 PM IST

जयपुर. अब तक जो राजनीति गांधी, नेहरू और पटेल तक सिमटी हुई थी, उसमें अब भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु भी जुड़ गए हैं. इसका ताजा उदाहरण पंजाब में देखने को मिला, जहां भगवंत मान सरकार ने शहीदी दिवस यानी 23 मार्च को अवकाश की घोषणा की. इससे पहले भगवंत मान ने भगत सिंह को अपना आदर्श बताते हुए उनके गांव खटकड़ा कलां में जाकर सीएम पद की शपथ भी ली थी.

आज जयपुर में भी राजा पार्क स्थित शहीद भगत सिंह पार्क में 'जहां हुए बलिदान भगत सिंह, वो लाहौर हमारा है' के नारे लगते दिखे. खास बात ये रही इस दौरान हेरिटेज नगर निगम की कांग्रेस बोर्ड की मेयर मुनेश गुर्जर के साथ बीजेपी के पार्षद नजर आए. बता दें, भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के अंतर्गत आयोजित किए जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव पर बुधवार को राजापार्क स्थित शहीद भगत सिंह पार्क में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की मूर्ति और छाया चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि कार्यक्रम (Shaheed Diwas) आयोजित किया गया.

जयपुर में लगे नारे

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हेरिटेज नगर निगम की महापौर मुनेश गुर्जर, वार्ड पार्षद मनीष पारीक, भूपेंद्र मीणा और शहीद भगत सिंह विकास समिति के प्रतिनिधियों ने शहीदों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. साथ ही शहीदों को याद करते हुए 'जहां हुए बलिदान भगत सिंह, वो लाहौर हमारा है' के नारे लगाए. इस दौरान महापौर शहीद भगत सिंह पार्क की सफाई और अन्य व्यवस्थाओं को नियमित सुधारने के लिए मौके पर ही अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए.

बता दें कि भारत की आजादी की लड़ाई में अहम योगदान निभाने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को भारत में बड़ी संख्या में यूथ फॉलो करता है. इन तीनों ने महात्मा गांधी से अलग रास्ते पर चलते हुए अंग्रेजों से लड़ाई शुरू की थी और बहुत कम उम्र में 23 मार्च 1931 को देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था. इन तीनों की याद में और इन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए ही आज के दिन को शहीदी दिवस (Shaheed Diwas) के रूप में मनाया जाता है.

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