जयपुर. इस्लामिक साल के आठवें महीने की 15 तारीख को मनाया जाने वाला शब-ए-बारात का त्योहार रविवार को धूमधाम से प्रदेश में मनाया जा रहा है. कई इलाकों में शब-ए-बारात का यह त्योहार सोमवार को भी मनाया जाएगा. शब-ए-बारात के त्योहार के मद्देनजर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां मस्जिदों में नमाजियों का हुजूम उमड़ा, वहीं घरों में विशेष दुआएं भी की गई और अपने पूर्वजों को याद किया गया.
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बड़ी संख्या में लोग कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों की मजार पर फातिहा पढ़ने भी पहुंचे और पूर्वजों के बख्शीश की दुआएं भी मांगी गई. लोगों ने अपने घरों में पूरी रात खुदा की इबादत की. शाम को ईशा की नमाज पढ़ने में भी युवाओं में खासा जोश देखने को मिला. मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में स्थित मस्जिदों में शब-ए-बारात के त्योहार को देखते हुए रोशनी भी की गई. शब-ए-बारात के मौके पर किसी भी तरह से माहौल खराब नहीं हो, इसके लिए बड़ी तादाद में पुलिस जाब्ता भी लगाया गया.
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सुन्नी दावते इस्लामी से ताल्लुक रखने वाले सैयद कादरी ने बताया कि शब-ए-बारात का त्योहार मुस्लिम समाज में एक अहम स्थान रखता है और इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. शब-ए-बारात के दिन लोग पूरी रात जागकर अपने पूर्वजों के लिए फातिहा पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में हलवा पकाने का एक रिवाज है. शब-ए-बारात के दिन भी ऐसा ही किया जाता है. बता दें कि शब-ए-बारात दो शब्दों शब और बारात से मिलकर बना है. जहां शब का अर्थ रात से होता है, वहीं बारात का मतलब बरी होना है.