जयपुर. आमजन को राहत देने के लिए राज्य कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. बैठक में किसानों के हित में डार्क जोन में ट्यूबवेल और कुआं खोदने की अनुमति नहीं लेने का फैसला लिया गया. पांच श्रेणियों में भूजल दोहन के लिए एनओसी में छूट देने, जनसुनवाई की त्रिस्तरीय व्यवस्था, आमजन को खनिज बजरी के विकल्प के रूप में एम सैंड उपलब्ध कराने के लिए नीति के अनुमोदन, दो से अधिक संतान वाले कार्मिकों को राहत देने जैसे कई अहम फैसले लिए गए. कैबिनेट बैठक में 9 कॉलेजों को राज्य सरकार के अधीन करने की कार्योत्तर स्वीकृति भी प्रदान की गई.
पांच श्रेणियों में भूजल निकासी के लिए एनओसी का प्रावधान विलोपित
मंत्रिमंडल ने भूजल दोहन के लिए जारी दिशा निर्देशों के क्रम में एक बड़ा निर्णय करते हुए, 5 श्रेणियों में भूजल निकासी के लिए एनओसी के प्रावधान को विलोपित करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय के बाद पेयजल और घरेलू उपयोग के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वैयक्तिक घरेलू उपभोक्ता, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं, सशस्त्र बलों के प्रतिष्ठानों, कृषि कार्यकलापों और 10 घन मीटर प्रतिदिन से कम भू जल निकासी करने वाले सूक्ष्म और लघु उद्योगों के उपयोग के लिए भूजल निकासी के लिए एनओसी नहीं लेनी होगी. इससे प्रदेश के किसानों, आमजन और सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों को बड़ी राहत मिलेगी. वहीं प्रदेश के 17 जिलों में 38 ब्लॉक जहां भूजल की स्थिति अधिक चिंताजनक है, वहां सुधार के सार्थक प्रयास किए जाएंगे.
जन सुनवाई के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था
मंत्रिमंडल ने जनसुनवाई की व्यवस्था को अधिक संवेदनशील और निचले स्तर तक प्रभावी बनाने के लिए त्रिस्तरीय प्रणाली लागू करने का फैसला लिया. इसके तहत क्लस्टर, उपखंड और जिला स्तर पर आमजन की शिकायतों का प्रभावी निराकरण किया जाएगा. इस संबंध में विस्तृत रूपरेखा तैयार करने के लिए कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया जाएगा.
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जानकारी के अनुसार महीने के पहले और तीसरे बुधवार को क्लस्टर स्तरीय जनसुनवाई, जिसमें 10-10 ग्राम पंचायतों के क्लस्टर बनाए जाएंगे और हर 2 महीने में कम से कम एक बार इन क्लस्टर पर जनसुनवाई सुनिश्चित की जाएगी. वहीं महीने के चौथे गुरुवार को उपखंड स्तर पर, जबकि महीने के दूसरे गुरुवार को जिला स्तर पर जन सुनवाई और समाधान की व्यवस्था की जाएगी. इसमें संबंधित अधिकारी और जनप्रतिनिधि बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़क जैसी समस्याओं को प्राथमिकता से सुनवाई का समाधान करेंगे. कैबिनेट ने मनरेगा श्रमिकों को टास्क पूरा होने पर राज्य सरकार द्वारा घोषित 220 रुपये प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी मिलने की मंशा भी जाहिर की है.
एम-सैंड इकाई को मिलेगा उद्योग का दर्जा
आमजन को खनिज बजरी का सस्ता और शुद्ध विकल्प उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मैन्युफैक्चर्ड सेंड नीति का अनुमोदन किया गया. इस नीति के तहत प्रदेश के खनन क्षेत्रों में उपलब्ध ओवरबर्डन डम्प्स की प्रचुर मात्रा का दक्षता पूर्वक उपयोग करते हुए, खनन क्षेत्रों में पर्यावरण को संरक्षित करना, नदियों की बजरी की आपूर्ति में कमी और पारिस्थितिक तंत्र में सुधार के साथ ही स्थानीय स्तर पर खनिज आधारित उद्योग में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है. अनुमोदित नीति के तहत एम सैंड इकाई को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा और उसे रिप्स 2019 के तहत परिलाभ देय होंगे.