जयपुर. विश्व धरोहर स्मारक जंतर-मंतर पर सायन मकर सक्रांति के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों ने अयन संक्रांति के महत्व को समझाया. साथ ही जंतर मंतर के विभिन्न यंत्रों की कार्य शैली में अयन परिवर्तन के कारण आने वाले अंतर को स्पष्ट किया.
दरअसल 21 दिसंबर को अपराह्न 3.32 बजे पर सायन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर गया. इसके साथ ही उत्तरायण सूर्य प्रारंभ हो गई. इसी दिन से शिशिर ऋतु प्रारंभ हो चुका है और राक्षसों की मध्यान्ह और देवताओं की अर्धरात्रि हो जाती है. ऐसे में उत्तरायण सूर्य का ज्योतिष शास्त्र और धर्म शास्त्र में बड़ा महत्व होता है. इसको लेकर विद्वज्जन और ज्योतिषाचार्य ने मंथन किया है.