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कोरोना महामारी से लड़ने में एनजीओ की भूमिका पर गोष्ठी, वक्ता बोले- नकारात्मक जानकारी फैलने से ज्यादा हो रहा नुकसान

कोरोना संकट से निपटने में स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) की भूमिका पर राज्य स्तरीय विचार गोष्ठी का वर्चुअल आयोजन हुआ. इसमें वक्ताओं ने कहा कि इस दौर में नेगेटिव और ओवर इंफॉर्मेशन ने नुकसान को कई गुना बढ़ा दिया है. भ्रामक सूचनाओं के फैलाव को रोकने में एक्टिविस्टों को आगे आने की अपील भी की गई.

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Published : May 4, 2021, 5:40 PM IST

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कोरोना संकट से लड़ने में एनजीओ की भूमिका पर गोष्ठी

जयपुर. राजस्थान में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भयावह होती जा रही है. इस विकट हालात से निपटने में स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) की भूमिका पर कंज्यूमर्स एक्शन एंड नेटवर्क सोसायटी (केन्स) के महिला प्रकोष्ठ की ओर से राज्य स्तरीय विचार गोष्ठी का वर्चुअल आयोजन हुआ. इसमें वक्ताओं ने कहा कि इस दौर में नेगेटिव और ओवर इंफॉर्मेशन ने नुकसान को कई गुना बढ़ा दिया है. वक्ताओं ने एक्टिविस्टों से अपील की कि भ्रामक सूचनाओं के फैलाव को रोकने में उन्हें मददगार बनना चाहिए, ताकि नुकसान को कम किया जा सके.

मुख्य वक्ता भारतीय उपभोक्ता परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनंत शर्मा ने कहा कि अनावश्यक सूचनाओं की बाढ़ और नकारात्मक खबरों के प्रसार ने महामारी से मुकाबले को ज्यादा मुश्किल बना दिया है. ऐसे में इस महामारी से मुकाबले के लिए सामाजिक संगठनों को प्रभावी ढंग से आगे आना चाहिए. गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए केन्स महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष दीक्षिता पापड़ीवाल ने कहा कि आज के हालात में संसाधनों की कमी के बीच उनका बेहतर प्रबंधन जरूरी है. उन्होंने कार्यकर्ताओं से सरकार और पीड़ितों के बीच मददगार कड़ी बनने की अपील की है.

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साथ ही जरूरी सामान, दवाइयां, ऑक्सीजन की कालाबाजारी रोकने और लोगों को गाइडलाइन की पालना करवाने की जरूरत भी बताई है. इस गोष्ठी को पीएन भारद्वाज, उषा भट्ट, निर्मला सेठी, मोहित अग्रवाल और अनिता गुप्ता ने भी संबोधित किया. वैश्विक परिदृश्य में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों के साथ असमानता को लेकर भी चिंता जताई गई और वैश्विक संसाधनों को समान रूप से सभी की पहुंच में लाने की जरूरत पर जोर दिया गया. कोरोना के टीके और जरूरी औषधियों को जीएसटी दायरे से बाहर लाने की भी मांग रखी गई है.

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