जयपुर.तरबूज (Watermelon), जिसे राजस्थान की ग्रामीण भाषा में 'मतीरे' के नाम से जाना जाता है. किसानों ने खेतों में बड़ी तादाद में इस समय ये तरबूज लगाया हुआ है. तरबूज मौसमी फल है जो गर्मी में ठंडक के साथ ही गर्मी से निजात दिलाकर पानी की कमी को पूरा करता है. वहीं किसानों के लिए इस सीजन में कमाई का भी एक जरिया होता है. लेकिन इस बार इस तरबूज की फसल तो अच्छी हुई है, लेकिन किसानों के सामने दिक्कतें भी कम नहीं हैं.
आपको बता दें कि किसान कोरोना के डर से मंडियों में जाने की बजाय हाईवे पर सड़क किनारे ही ट्रैक्टरों में भरकर इस फसल को बेच रहे हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि अब तक दुकानों में जिस ऑनलाइन भुगतान की सुविधा होती थी वो सुविधा अब इन ट्रैक्टरों पर भी मिल रही है. Google Pay, Phone Pay या फिर अन्य ऑनलाइन साधन, इसी के जरिए पैसे लिए जा रहे हैं.
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मंडियां खुल तो गई हैं, लेकिन जिस तरह से मंडियों में आने वाली भीड़ के चलते कोरोना संक्रमण का डर ज्यादा होता है. ऐसे में ये किसान अपने तरबूज को सड़क पर अपने स्तर पर और संसाधन से सीधे बेच देते हैं. अब इसे कोरोना संक्रमण का डर मानें या बचाव का तरीका, लेकिन किसानों ने अपने आपको आधुनिक व्यवस्था में जरूर ढाला है. इसी का परिणाम है कि वो किसी से भी तरबूज या अपने सामान के बदले नकद में लेन-देन नहीं कर रहे हैं. बल्कि इसके लिए ऑनलाइन संसाधनों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं.