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कोरोना काल में परवान चढ़ने लगा Digital India, किसान भी कर रहे Online ट्रांजेक्शन - farming of watermelon

कोरोना का खौफ देश के साथ प्रदेश में भी व्याप्त है, जिसका असर हर क्षेत्र के लोगों और उनके उद्योग-धंधों पर पड़ रहा है. इसी बीच जयपुर के किसानों ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसे उनका आधुनिक व्यवस्था में ढलना कहा जा सकता है. दरअसल, मामला कुछ यूं है कि किसान खेतों में तैयार तरबूज को कोरोना के डर से मार्केट में न ले जाकर अपने ही माध्यम से हाईवे किनारे सड़क पर बेच रहे हैं. साथ ही पैसों का लेन-देन भी ऑनलाइन माध्यम से कर रहे हैं.

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किसान भी ले रहे ऑनलाइन पेमेंट

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Published : Jun 3, 2020, 7:28 PM IST

जयपुर.तरबूज (Watermelon), जिसे राजस्थान की ग्रामीण भाषा में 'मतीरे' के नाम से जाना जाता है. किसानों ने खेतों में बड़ी तादाद में इस समय ये तरबूज लगाया हुआ है. तरबूज मौसमी फल है जो गर्मी में ठंडक के साथ ही गर्मी से निजात दिलाकर पानी की कमी को पूरा करता है. वहीं किसानों के लिए इस सीजन में कमाई का भी एक जरिया होता है. लेकिन इस बार इस तरबूज की फसल तो अच्छी हुई है, लेकिन किसानों के सामने दिक्कतें भी कम नहीं हैं.

किसान भी ले रहे ऑनलाइन पेमेंट

आपको बता दें कि किसान कोरोना के डर से मंडियों में जाने की बजाय हाईवे पर सड़क किनारे ही ट्रैक्टरों में भरकर इस फसल को बेच रहे हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि अब तक दुकानों में जिस ऑनलाइन भुगतान की सुविधा होती थी वो सुविधा अब इन ट्रैक्टरों पर भी मिल रही है. Google Pay, Phone Pay या फिर अन्य ऑनलाइन साधन, इसी के जरिए पैसे लिए जा रहे हैं.

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मंडियां खुल तो गई हैं, लेकिन जिस तरह से मंडियों में आने वाली भीड़ के चलते कोरोना संक्रमण का डर ज्यादा होता है. ऐसे में ये किसान अपने तरबूज को सड़क पर अपने स्तर पर और संसाधन से सीधे बेच देते हैं. अब इसे कोरोना संक्रमण का डर मानें या बचाव का तरीका, लेकिन किसानों ने अपने आपको आधुनिक व्यवस्था में जरूर ढाला है. इसी का परिणाम है कि वो किसी से भी तरबूज या अपने सामान के बदले नकद में लेन-देन नहीं कर रहे हैं. बल्कि इसके लिए ऑनलाइन संसाधनों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं.

तरबूज की खेती करने वाले किसान

इतना ही नहीं आने वाले ग्राहक भी अब इस बात को लेकर तैयार हैं कि वो नकद न देंगे और न लेंगे. ऐसे में अब जयपुर के कालवाड़ के आगे सड़क पर बड़ी तादाद में किसान अपने ट्रैक्टरों पर ही सामान बेचते दिखाई दे रहे हैं. अपनी गाड़ी पर ही उन्होंने ऑनलान स्कैन करने के लिए QR Code लगा लिए हैं.

क्या कहना है किसान और उपभोक्ता का...

किसान नंदाराम जाट का कहना है कि पहले ऐसा नहीं था. जब तरबूज तैयार होते थे तब उन्हें हम मंडी में ले जाते थे. लेकिन इस बार हम मंडी में नहीं जाकर यहीं हाईवे किनारे ही बेच रहे हैं. साथ ही ऑनलाइन लेन-देन कर रहे हैं, क्योंकि नकद लेन-देन करने में कोरोना संक्रमण का खतरा रहता है.

डिजिटल इंडिया चढ़ने लगा परवान पर

सड़क पर किसानों से तरबूज और अन्य सब्जी खरीदने वाले धर्मेन्द्र का कहना है कि पहले कभी सोचा तो नहीं था कि इस तरह से सड़क पर ऑनलाइन भुगतान की सूविधा मिल सकती है. लेकिन कैश लेने-देने में खतरा है. ऐसे में ऑनलाइन ही भुगतान कर देते हैं. ये एक बेहतर सुविधा है और डर से भी निजात मिलती है.

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