जयपुर. बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि अक्षय-तृतीया और पीपल पूर्णिमा पर बाल विवाह न हो इसके लिए सभी जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को विशेष नजर रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अक्षय-तृतीया और पीपल पूर्णिमा पर बाल विवाह रोकने के लिए कंट्रोल रूम बनाने और औचक निरीक्षण को लेकर भी निर्देश दिए हैं.
उन्होंने कहा कि बाल कल्याण समितियों को बाल विवाह पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं. सभी बाल आयोग सदस्यों से कहा गया है कि वे फील्ड में जाकर काम करें. कोई अंदेशा हो तो सूचना दें और मौके पर पहुंचें. संगीता बेनीवाल ने कहा कि अगर किसी भी जिले या तहसील में बाल विवाह का मामला सामने आया तो उसके लिए एसडीएम जिम्मेदार होगा. बेनीवाल ने कहा कि बाल विवाह को लेकर गृह विभाग ने पहले ही गाइड लाइन जारी की हुई है. इसके तहत करवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि बाल विवाह हो भी जाता है तो उसे कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी. टोंक और भरतपुर में इसी तरह का मामला सामने आया था. एक लड़की ने बाल विवाह को मानने से इंकार कर दिया था. आयोग ने उस विवाह को निरस्त करवाया. बेनीवाल ने कहा कि इस कुप्रथा को रोकने के लिए सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जा रहा है. पिछले दिनों एनजीओ के साथ बैठक कर बाल विवाह पर नजर रखने की बात कही गई है.
अक्षय तृतीया पर बाल विवाह को लेकर निर्देश
अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा पर बाल विवाह के मामले ज्यादा सामने आते हैं. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 अनुसार बाल विवाह अपराध है. इस वर्ष अक्षय-तृतीया (आखातीज) का पर्व 14 मई को है. इसके उपरान्त पीपल पूर्णिमा 26 मई का पर्व भी आने वाला है. इन दिनों तथा अबूझ सावों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाहों के आयोजन की संभावनाएं रहती है.
ऐसे में गत वर्षों की भांति बाल विवाह के प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम और तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों/अधिकारियों तथा जन प्रतिनिधियों (तृत्ताधिकारियों, थानाधिकारियों, पटवारियों भू-अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्रामसेवकों, कृषि पयवेक्षकों, महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आगंनबाडी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, नगर निकाय के कर्मचारियों, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचों तथा वार्ड पंचों) के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर, आमजन को जानकारी कराते हुए जन जागृति उत्पन्न कर, बाल विवाह रोके जाने के लिए कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
प्रभावी कार्य योजना के लिए ये निर्देश
1. जिला व ब्लॉक स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन सहयोगिनी को सक्रिय किया जाये.
2. ऐसे व्ययित व समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी होते हैं यथा हलवाई, बैण्डवाजा, पंडित, बाराती, टेंटवाले, ट्रांसपोर्टर इत्यादि से बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन लेना और उन्हें कानून की जानकारी देना.