राजस्थान

rajasthan

स्कूल शिक्षा परिवार ने मानवाधिकार और बाल संरक्षण आयोग को लिखा पत्र, जानें क्यों

By

Published : Jun 16, 2020, 6:44 PM IST

राजस्थान माध्यमिक बोर्ड की परीक्षा 18 जून से शुरू होने वाली है. इसको लेकर सभी तैयारियां भी पूर्ण कर ली गई है. इसी बीच स्कूल शिक्षा परिवार अभी भी परीक्षा नहीं कराने को लेकर मानवाधिकार और बाल संरक्षण आयोग को पत्र लिखा हैं.

जयपुर समाचार, jaipur news
स्कूल शिक्षा परिवार ने मानवाधिकार और बाल संरक्षण आयोग को लिखा पत्र

जयपुर.राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाएं 18 जून से शुरू होने जा रही हैं. इसे लेकर सभी तैयारियां को अंतिम रूप भी दिया जा चुका है. बोर्ड ने परीक्षा केन्द्रों को सैनिटाइज करने और दूसरी व्यवस्थाओं को लेकर केन्द्रों को नई गाइडलाइन भी जारी की थी. दरअसल, प्रदेश में 10वीं और 12वीं को मिलाकर अभी करीब 20 लाख छात्रों की परीक्षा होनी है.

ऐसे में इन परीक्षाओं में छात्रों में सोशल डिस्टेंसिंग प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी. वहीं, स्कूल शिक्षा परिवार अभी भी परीक्षा नहीं कराने को लेकर मानवाधिकार और बाल संरक्षण आयोग को पत्र लिखा है. बता दें कि करीब 3 महीने के लंबे इंतजार के बाद राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं के बचे हुए विषयों की परीक्षाएं होने जा रही है, जिसको लेकर बोर्ड ने कोरोना संकट और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना को देखते हुए प्रदेश में 521 नए उप परीक्षा केंद्र बनाए हैं. इन नए उप परीक्षा केंद्रों के लिए अलग से प्रवेश पत्र जारी किए गए है.

स्कूल शिक्षा परिवार ने मानवाधिकार और बाल संरक्षण आयोग को लिखा पत्र

साथ ही परीक्षा शुरू होने से एक घंटे पहले केंद्र पर पहुंचने, मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसके लिए बोर्ड ने तमाम परीक्षा केंद्रों को भी हिदायत दी है कि वे अपने परीक्षा कक्षों को पहले अच्छी तरह से सैनिटाइज करें और केंद्रों पर हैंडवॉश की सुविधा रखें. इसके लिए बोर्ड की ओर से हर परीक्षा केंद्र को 500 रुपए का अलग से बजट भी स्वीकृत किया गया है.

पढ़ें- रघु शर्मा का बीजेपी पर फिर बड़ा हमला, कहा- अपना नाम बदलकर 'हॉर्स ट्रेडिंग कॉरपोरेशन' रख ले

इस संबंध में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि बोर्ड की परीक्षाओं का अपना महत्व है. चूंकि, अब कोरोना के साथ ही जीना है, ऐसे में बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एहतियात बरतते हुए इन परीक्षाओं को कराया जा रहा है. पहले जहां एक परीक्षा कक्ष में 25 से 30 परीक्षार्थी बैठा करते थे, वहां अब महज 12 से 15 को ही बैठने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा परीक्षार्थियों के केंद्र में दाखिले के समय थर्मल टेंपरेचर जांच की सुविधा भी रखी गई है.

10वीं बोर्ड

प्राइवेट छात्र रेगुलर छात्र कुल छात्र
3,184 11,76,646 11,79,830

12वीं बोर्ड

प्राइवेट छात्र रेगुलर छात्र कुल छात्र
11,959 8,53,936 8,65,895

12वीं फैकल्टी वाइज

आर्ट्स कॉमर्स साइंस एग्रीकल्चर
5,92,605 36,557 2,04,681 32,052

स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि परीक्षाओं को लेकर अभिभावक और छात्र तनाव में है. लॉकडाउन के चलते छात्र परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाएं हैं. इस बीच स्कूल में छात्र आ नहीं सकते और किसी शिक्षक से सवाल कर नहीं सकते. तैयारी के लिए महज ऑनलाइन व्यवस्था हो सकती है. लेकिन गणित जैसा विषय ऑनलाइन नहीं पढ़ाया जा सकता. ऐसे में छात्रों के लिए परीक्षा देने की वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए और बचे हुए छात्रों का रिजल्ट पूर्व में दी गई परीक्षाओं के आधार पर औसत निकालकर जारी कर दिया जाए.

पढ़ें- आखिरकार बाड़ाबंदी में शामिल हुए मंत्री रमेश मीणा...बोले- मेरी कुछ समस्याएं थीं, जिसे दूर करने का आश्वासन मिला है

इसके पीछे तर्क दिया कि जब इन परीक्षाओं के अंकों के आधार पर कहीं नौकरी मिलती नहीं, प्रतियोगिता परीक्षा देनी ही पड़ती है तो सरकार परीक्षा कराने पर क्यों अमादा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने तनाव में आकर सुसाइड कर लिया, ऐसा ना हो कि ये बोर्ड की परीक्षा छात्रों के जानलेवा साबित हो.

बहरहाल, परीक्षाओं को लेकर अब महज दो दिन का समय बचा है. इसके लिए बोर्ड ने सभी तैयारियां भी कर ली है. ऐसे में स्कूल शिक्षा परिवार के पत्र पर मानवाधिकार और बाल संरक्षण आयोग के जवाब पर ही निर्भर करेगा कि इन दो दिन परीक्षाओं को लेकर कोई नया फरमान तो जारी नहीं होगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details