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अशोक गहलोत को अपनी और दूसरी पार्टियों में 'नए नेतृत्व' को लेकर ऐतराज हैः सतीश पूनिया

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. पूनिया ने मुख्यमंत्री को दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने के बजाय प्रदेश की जनता की फिकर करने की नसीहत दे दी.

सतीश पूनिया और गहलोत, satish punia vs gehlot

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Published : Nov 4, 2019, 9:12 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. सोमवार को जब भीलवाड़ा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सतीश पूनिया के खिलाफ बयान दिया तो जवाब में पूनिया ने मुख्यमंत्री को दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने के बजाय प्रदेश की जनता की फिकर करने की नसीहत दे दी.

सतीश पूनिया ने सीएम गहलोत को लेकर दिया बड़ा बयान

यही नहीं सतीश पूनिया ने यह तक कह डाला कि जनता के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि खलनायक की तरह क्यों बन रही है, यह मुख्यमंत्री के लिए सोचने का विषय है. दरअसल भीलवाड़ा में मुख्यमंत्री ने पूनिया को लेकर कहा कि वे मोदी और अमित शाह के इशारे पर लगातार मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलने के एजेंडा पर काम कर रहे हैं. सीएम गहलोत इसके पहले मुख्यमंत्री ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सतीश पूनिया को जोर से बांग देने वाला नया मुल्ला बताया था.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने आज फिर करेड़ा (भीलवाड़ा) में मुख्यमंत्री गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि गहलोत क्योंकि पेशेवर नेता है और कुर्सी का मोह उन्हें ज्यादा है और कुर्सी बचाने की तिकड़म भी वे अच्छे तरीके से जानते हैं. पूनिया ने कहा कि गहलोत मेरी फिक्र कम और राजस्थान के किसानों व नौजवानों की ज्यादा करेंगे तो बेहतर होगा. पूनिया ने कहा कि कुर्सी बचाने के लिए दिल्ली दरबार की हाजिरी तो जाहिर है ही साथ ही हाल में बीएसपी विधायकों से रात को होटल में गुपचुप डील इसका ताजातरीन उदाहरण है.

गहलोत पर दिखने लगा उम्र का असर-
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि गहलोत साहब पर उम्र का असर हो रहा हैं. उन्होंने कहा कि वे फिर से दोहराते हैं कि उन्हें नए नेतृत्व से परहेज है. साथ ही एक लंबे राजनीतिक जीवन के बाद उनकी छवि जनता में खलनायक जैसी क्यों है. इस पर विचार करें. उनको राजस्थान में तीन बार मुख्यमंत्री का पद हासिल हुआ है लेकिन राजस्थान आज भी पिछड़ा क्यों है.

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पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री इस बार हताश और निराश है. उन्हें बार-बार आलाकमान से डांट पड़ती है, बेटे को स्थापित नहीं कर पाए और उनको लगता है, कि यह उनकी आखिरी पारी है. इस तरह गहलोत साहब को अपने और अपने बेटे के भविष्य के बारे में चिंता हैं. इसलिए भी वे बार-बार मुझ पर टिप्पणी कर रहे है.

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