जयपुर. प्रदेश में लेबर कमिश्नर प्रतीक झाझडिया (Labor Commissioner Bribery Case) और दो दलालों के बीच रिश्वत के 'खेल' पर हुई एसीबी की कार्रवाई पर अब सियासत भी शुरू हो गई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामले (Corruption Cases) को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा. रविवार को सतीश पूनिया ने बयान के जारी करके तो वही राठौड़ ने ट्वीट के जरिए इस मामले में प्रदेश सरकार को घेरा. कहा कि ऐसा तब होता है जब सरकार कमजोर होती है.
भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सतीश पूनिया (Rajasthan BJP State President Dr Satish Poonia) ने कहा कि नीचे से लेकर ऊपर तक इस राजस्थान में भ्रष्टाचार शिष्टाचार की जगह नस-नस में चला गया है. जिस तरीके से लगातार एक लंबी फेहरिस्त इस प्रकार के मामलों की बढ़ रही है. आज किसी भी महकमे में देख लीजिए भ्रष्टाचार चरम पर है.
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उन्होंने राजस्थान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा जब सरकार की नियत मानसिकता खराब होती है और नैतिक रूप से सरकार कमजोर होती है, तो इस प्रकार के भ्रष्टाचार का बोलबाला हो जाता है. पूनिया ने कहा कि प्रदेश सरकार को बढ़ते अपराधों के साथ ही बढ़ते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी ठोस कार्य योजना चाहिए.
तीनों ही कृषि कानून किसानों के हित में
रविवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ पार्टी से जुड़े कई नेताओं ने पार्टी मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात कार्यक्रम सुना. इसके बाद जयपुर ग्रामीण भाजपा समन्वय समिति की बैठक में शामिल हुए. शनिवार को हुए किसानों के आंदोलन को लेकर पूनिया ने कहा कि कृषि कानून के बारे में ज्यादा चर्चा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर सब कुछ साफ कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि 11 बार की वार्ताओं में किसानों से केंद्र सरकार ने सभी प्रकार की चर्चा ली. अब वैकल्पिक प्रावधानों पर सिर्फ वैचारिक गतिरोध है. पूनिया ने तीनों ही कृषि कानूनों को किसानों के हित ने बताया और कहा कि इस प्रकार के गतिरोध का कोई परिणाम नहीं निकलने वाला.
कुछ न कुछ गड़बड़ तो अवश्य: राजेंद्र राठौड़
प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा. ट्वीट और बयान में कहा कि लूट-खसोट का खुलासा करने के लिए एसीबी को धन्यवाद. सवाल ये है कि भारतीय डाक सेवा 2011 बैच के अफसर प्रतीक झाझरिया को किसकी सिफारिश पर राजस्थान में लेबर कमिश्नर के पद पर प्रति नियुक्ति पर लगाया गया.
सत्ता के बेहद करीबी रहे अफसर के मारवाड़ के सत्ता के बड़े नेता के साथ निकटता की चर्चाएं क्यों उठ रही हैं? कहीं न कहीं, कुछ न कुछ गड़बड़ तो अवश्य है. आखिर इस व्यापक भ्रष्टाचार की गंगोत्री का स्त्रोत कहां से प्रारंभ हुआ? यह रिश्ता क्या कहलाता है, बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी.