जयपुर. कोटा से आने वाली भाजपा विधायक और पूर्व विधायकों ने सोमवार को कोटा में ही एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि प्रदेश संगठन ने व्यक्ति विशेष के इशारे पर भाजपा के अवैध गढ़ को धरातल से रसातल तक पहुंचाने का काम किया है. अगर हालात यही रहे तो आने वाले समय में पार्टी की नाव डूबने से कोई भी ताकत नहीं बचा पाएगी. बयान जारी करने वालों में शामिल छबड़ा से मौजूदा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी के साथ ही पूर्व मंत्री बाबूलाल वर्मा, वरिष्ठ नेता श्री कृष्ण पाटीदार, पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत, प्रहलाद गुंजल और विद्याशंकर नंदवाना के नाम शामिल हैं. ये सभी नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक नेता माने जाते हैं.
कल कोटा में संयुक्त प्रेस बयान जारी करने के बाद आज मंगलवार को मौजूदा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी भाजपा विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए विधानसभा भी पहुंचे. उसके बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने वापस अपना यही बयान दोहराया. सिंघवी ने कहा कि कोटा के शहरी क्षेत्र में भाजपा बुरी तरह हारी, जबकि किसी जमाने में कोटा जनसंघ और भाजपा का गढ़ था, लेकिन आज पूरा कोटा और बूंदी हम हार गए. इस पर पार्टी संगठन को विचार करना चाहिए. प्रताप सिंह के अनुसार यह सोचने का विषय है कि जहां भाजपा सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में थी वहां ऐसे हालत आखिर क्यों हुए. सिंघवी ने इसके पीछे संवाद हीनता को बड़ा कारण बताया. सिंघवी ने आरोप तो लगाए, लेकिन खुलकर कोटा से आने वाले उस बड़े नेता का नाम नहीं बताया जिसके इशारे पर संगठन काम कर रहा है. मतलब सियासत में यह नेता प्रहार तो कर रहे हैं, लेकिन सामने वाले नेता का नाम लेने से भी बचते हैं.
संगठन में कुछ ही लोग सुनते हैं, इसलिए पब्लिक प्लेटफॉर्म का क्या उपयोग : संघवी
कोटा भाजपा के जुड़े इन नेताओं ने जिस तरह सार्वजनिक रूप से मीडिया में बयान जारी किया और उसके बाद सिंघवी ने मीडिया से मुखातिब होकर अपनी बात कही, उससे यह साफ है कि भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है. हालांकि, सिंघवी से जब ये सवाल पूछा गया कि वो अपनी बात संगठन के बीच भी रख सकते थे, लेकिन इसे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर क्यों रखा. तब प्रताप सिंह ने कहा कि संगठन में कुछ ही लोग हमारी बात सुनते हैं. ऐसे में हमें अपनी बात पब्लिक प्लेटफॉर्म पर रखना ही उचित लगा, ताकि पार्टी के हर कार्यकर्ता तक हमारी बात पहुंच सके.