जयपुर.बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने बिजली उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर एक बार फिर 112 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार लादते हुए 7 पैसे प्रति यूनिट की वसूली के आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण और आम आदमी की कमर तोड़ने वाला बताया है. राठौड़ ने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर से दिसंबर तक उपभोग की गई बिजली यूनिट के अनुसार 7 पैसे प्रति यूनिट की फ्यूल सरचार्ज की राशि अगले महीने अप्रैल में जारी होने वाले बिल में जुड़कर आएगी.
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राठौड़ ने कहा कि जनघोषणा पत्र में कांग्रेस सरकार ने अपने शासनकाल में विद्युत दरों को नहीं बढ़ाने के वायदे पर यू-टर्न लेते हुए 26 महीने के कार्यकाल में दर्जनों बार कई कारण बताते हुए आम आदमी की जेब ढीली करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने विद्युत दरों में बार-बार बढ़ोतरी कर वैश्विक महामारी कोरोना के कारण से आम आदमी की लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था के घाव पर नमक छिड़कने का काम किया है.
सरकार ने टैरिफ, फ्यूल चार्ज, फिक्स चार्ज, एडिशनल सिक्योरिटी लगाकर कुल 3 बार विद्युत दरों में बढ़ोतरी कर राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं की जेब पर 5200 करोड़ रुपए का डाका डाला है. अब एक बार फिर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर विद्युत उपभोक्ताओं को 112 करोड़ रुपए का झटका देने की तैयारी में है, जबकि बिजली तारों से गायब है.
राठौड़ ने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस सरकार के शासन में फ्यूल सरचार्ज के नाम पर अब तक उपभोक्ताओं पर औसतन 35 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार आ चुका है. अगर पिछले वर्ष फरवरी में हुई विद्युत दरों में बढ़ोतरी की राशि को भी इसमें जोड़ा जाए तो कांग्रेस के शासन में आम उपभोक्ता को औसतन 1.50 रुपए प्रति यूनिट ज्यादा राशि चुकानी पड़ रही है.
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि 24,996 MW विद्युत क्षमता अर्जित कर बिजली की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनने का दावा करने वाली गहलोत सरकार ने पिछले 2 वर्ष में औसतन 18,266 मिलियन यूनिट बिजली प्राइवेट कम्पनी से 2.71 रुपए से लेकर 4.70 रुपए अलग-अलग समय में खरीद कर चांदी कूटने का काम किया है.