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हरियाली अमावस्या पर बन रहा यह विशेष योग, युवतियों को पार्वती पूजन से मिलेगा मनचाहा वर - सर्व सिद्धि योग

इस बार हरियाली आमावस्या पर विशेष योग बन रहा है. ज्योतिषियों ने इस अवसर को सभी के लिए महत्वपूर्ण बताया है. इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान करने से घर में सुख शांति समृद्धि और वंश वृद्धि होती है.

sarv siddhi yog on hariyali amavasya

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Published : Jul 31, 2019, 8:06 PM IST

जयपुर. हरियाली अमावस्या इस बार गुरुवार को श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाई जाएगी. संयोग से इस बार हरियाली अमावस्या पर अमृत सिद्धि योग का संयोग है. ऐसे में इस दिन पितरों की नियमित पौधारोपण करना शुभ फलदाई है.

माना जाता है कि अमृत सिद्धि योग में पौधारोपण करने से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है. इस दिन घरों में भी हरियाली का पूजन किया जाता है. अमावस्या तिथि पर शिव जी के साथ ही देवी पार्वती का पूजन अवश्य करना चाहिए. पूजा में माता को सुहाग का सामान, शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करना होता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और मां पार्वती की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है.

हरियाली अमावस्या पर बन रहा अमृत सिद्धि योग

ज्योतिषाचार्य डॉ रवि प्रकाश शर्मा के अनुसार पंच महायोग बनने से इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने का विधान है. इससे मनोकामना पूर्ण होती है. एक अगस्त को गुरु पुष्यामृत शुभ योग करीब 6 घंटे तक रहेगा. इस योग को बहुत कल्याणकारी और शुभ फलदाई माना जाता है.

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पंचांग के गणना के अनुसार इस दिन हरियाली अमावस्या पुष्प नक्षत्र, सिद्धि योग, नागकरण व कर्क राशि के चंद्रमा के संयोग में मनाई जाएगी. गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र का होना अमृत सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण करता है. पुष्प नक्षत्र के स्वामी शनि तथा उप स्वामी बृहस्पति है. सिद्धि योग के स्वामी भगवान गणेश है. इस प्रकार के सहयोग में अमावस्या पर तंत्र मंत्र की सिद्धि विशेष फल प्रदान करती है. पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए यह भी दिन खास है. इस दिन तीर्थ पर पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान करने से घर में सुख शांति समृद्धि और वंश वृद्धि होती है.

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ज्योतिषाचार्य डॉ शर्मा के अनुसार जलवायु व मौसम के कारक ग्रह बुध अमावस्या पर सुबह 9:20 पर मार्गीय हो रहे हैं. बुध के मार्गीय होते ही वर्षा ऋतु के चक्र में अचानक परिवर्तन आएगा. इसका प्रभाव भी दिखाई देगा. वहीं गुरु का वृश्चिक राशि में वक्रगत दृष्टि से कर्क राशि स्थित सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध व शुक्र नवम पंचम दृष्टि संबंध बनेगा. इसका प्रभाव जलीय ऋतु चक्र के सकारात्मक पक्ष को प्रबल करेगा.

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