जयपुर.पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के इस्तीफे और 33 सूत्रीय मांगों के साथ प्रदेश के सरपंच जयपुर में महापड़ाव डाले बैठे हैं (Sarpanch On Street). 300 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप नाक की लड़ाई बन गया है. आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है और इस बीच सरपंच संघ में फूट की खबर भी सामने आ रही है. धरना स्थल पर ही सरपंच एक दूसरे को मारते पीटते दिखे. सरपंचों के एक गुट की ओर से ये कहा जा रहा है कि मंत्री रमेश मीणा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने क्षेत्र से इन सरपंचों को बुलाया है, ताकि महापड़ाव को उसके मकसद से भटका दिया जाए.
मीणा बोले मैंने इन्हें नहीं बुलाया: मंत्री रमेश मीणा ने भी साफ कर दिया है कि अगर वो सरपंचों को बुलाते तो 500-1000 की संख्या में सरपंच जयपुर नहीं पहुंचते. इनकी संख्या 10 से 20,000 होती. उन्होंने साफ कहा कि पूर्वी राजस्थान के इन 13 जिलों के सरपंचों की मांग भी पूरी तरीके से जायज है और सरपंचों को जितना काम हमने राजस्थान में विकास के कार्य के लिए दिया है उस काम में सभी जिलों में समानता आनी चाहिए.
मंत्री बोले- इस्तीफा दे दूंगा जिलों में पैसों का बंटवारा: मीणा बजट के वितरण को लेकर भी सवालों के घेरे में हैं. सरपंच भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं. इस बात पर उन्होंने कहा- प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं जहां 300 से 500 करोड़ तक के काम हो रहे हैं. जयपुर जैसे जिले में 8 से 10 करोड़ का काम मिल रहा है तो किसी जिले को 5 करोड़ किसी को 10 करोड़. किसी को 20 या 25 करोड़ का काम मिल रहा है. जरूरत के मुताबिक राशि का वितरण हो रहा है.
मंत्री बोले- सरपंच मेरे साथ: रमेश मीणा ने कहा की पूरे राजस्थान के सरपंचों का कहना है कि हमने कांग्रेस को वोट दिया और विधायक भी हमारे ज्यादा जीत कर आए. मेरे प्रति उनका समर्थन है. हमें अनियमितता की शिकायत भी जिन जिलों में भ्रष्टाचार हो रहा है वहां के लोगों से ही मिली थी और जब हमने इन शिकायतों को वेरीफाई करवाया, धरातल पर गए तो शिकायतों को सही पाया.
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इस्तीफा दे दूंगा, अगर...: मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि सरपंच हमारे आरोपों की जांच चाहें किसी भी एजेंसी से करवा लें लेकिन अगर ये साबित हुआ कि मंत्री के तौर पर मैंने गलत किया है तो सरपंचों को मेरा इस्तीफा मांगने की आवश्यकता नहीं होगी. मैं खुद अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दूंगा. रमेश मीणा ने कहा कि मैंने तय किया है की ईमानदारी से काम करूंगा और जो व्यक्ति ईमानदारी से काम करता है उसे संघर्ष करना पड़ता है.
सरपंचों पर मंत्री का आरोप:मंत्री मीणा को लगता है कि महापड़ाव पर कुछ नकली सरपंच बैठे हैं. कुछ नकली सरपंच पदाधिकारी, विधायक बनने के ख्वाब देख रहे हैं. इन लोगों ने सरपंचों का आंदोलन हाईजैक कर लिया है. इन सरपंचों में कुछ ऐसे भी सरपंच हैं जो अब सरपंच के बाद विधायक बनने का सपना देख रहे हैं, लेकिन "साँच को कभी आंच" नहीं होती. वही सरपंच डरता है जिसने मौके पर अपना काम नहीं करवाया होता है. आरोप मैंने नहीं लगाए हैं बल्कि जिन जिलों में हम जांच करते हैं उसकी रिपोर्ट पर हमारी समीक्षा होती है, जिसमें अधिकारी मौजूद रहते हैं और टीम की जांच में जो कमियां आई मैंने उन्हीं को उजागर किया है, बिना जांच के मैंने कोई आरोप नहीं लगाए हैं. तंज कसा कि अभी तो अधिकरियों पर ही कार्रवाई हुई है तो सरपंच डर गए हैं बाद में क्या होगा?
कई अधिकारी सस्पेंड: मीणा ने कहा कि कमियों के बाद मैंने कई बीडीओ,एईएन और जेटीओ को सस्पेंड भी किया है यह कार्रवाई बाड़मेर नागौर और भीलवाड़ा में की गई है. उन्होंने कहा कि जहां भी हमें कमी नजर आती है वहां हम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. हालांकि अभी तक हमने किसी सरपंच के खिलाफ कार्रवाई नहीं की क्योंकि पहले हम अधिकारियों को सुधारना चाहते हैं क्योंकि अधिकारी जब सही से काम नहीं करते तभी अनियमितता होती है. ऐसे में अधिकारियों पर जब कार्रवाई हो रही है तो कुछ सरपंच भी डर रहे हैं कि जब हमारे खिलाफ जांच होगी तो हमारी पोल खुल जाएगी. मीणा के मुताबिक ये डरे सहमे लोग ही पैदल चलकर जयपुर आए हैं. उन्होंने खासतौर पर नागौर के सरपंच का नाम लिया. कहा- वो एमएलए बनने के ख्वाब देख रहे हैं. आगे बोले- पहले जांच तो करवा लो कौन कितने पानी में है यह साफ हो जाएगा.
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ये शिकायते हैं सरपंचों के खिलाफ:
मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि कुछ सरपंच अच्छा काम करते हैं तो हम उनकी तारीफ भी करते हैं लेकिन जहां कमियां मिलती है हम उसे भी सामने लाते हैं. उन्होंने कहा की कमियां मिलने पर ही हमने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं की गुणवत्ता पूर्वक काम हो और सभी को समान रूप से काम मिले. रमेश मीणा ने कहा कि जांच में आया है कि
नागौर का कच्चा चिट्ठा
1. SC/ST ,बीपीएल ,दिव्यांग, एकल महिला, प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों के जहां प्रथम वरीयता मे काम मिलने चाहिए थे, उनकी जगह इस वरीयता को लांघ कर लघु सीमांत कृषकों को फायदा सरपंचों की ओर से पहुंचाया गया.
2. नागौर जिले में व्यक्तिगत लाभ के 3,89000 के स्वीकृत कार्य में श्रम मद पर एक लाख 89 हज़ार रुपए एवं सामग्री मद पर और 1 लाख 90,000 के मॉडल तकमीने के आधार पर काम संपादित करवाए गए. इस 3 लाख 89,000 में से श्रम एवं सामग्री में कुल 2 लाख का वास्तविक खर्च हुआ और शेष 1 लाख 89,000 का मौके पर कोई काम नहीं करवाया गया यानी कि 1 लाख 89 हज़ार का काम किए बगैर मस्टरोल भरकर सीधा-सीधा गबन किया गया.
3. एक ही परिवार के दो से तीन टांके बनाए गए.
4. नागौर जिले में पिछले 3 साल में लगभग ढाई सौ करोड़ रुपए के 6500 व्यक्तिगत लाभ के कार्य कराए गए. जिनमें 116 करोड़ के काम धरातल पर नहीं करवाए गए और इनका सीधा गबन किया गया.
5. नागौर जिले की कुछ पंचायतों में सामग्री मद के भुगतान विल स्टॉप में इंद्राज कर एफपीओ जारी कर दिए गए जबकि मौके पर सामग्री नहीं मिली.
6. पिछले 3 सालों में जिले में राज्य वित्त आयोग एवं केंद्रीय वित्त आयोग के अंतर्गत करोड़ों की राशि व्यय की गई लेकिन धरातल पर कोई काम नजर ही नहीं आ रहा.
बाड़मेर की शिकायतें-
1. बाड़मेर जिले में टांका और कैटल शेड निर्माण में व्यक्तिगत लाभ के काम की राशि 3 लाख में से श्रम एवं सामग्री में डेढ़ लाख रुपए का वास्तविक व्यय हुआ. डेढ़ लाख का मौके पर कोई काम नहीं करवाया गया यानी डेढ़ लाख का सीधा गबन.
2. बाड़मेर जिले में पिछले 3 सालों में 1537 करोड़ रुपए के 50 हज़ार व्यक्तिगत लाभ के काम करवाए गए, जिनमें डेढ़ लाख रुपए प्रति काम के हिसाब से धरातल पर 500 करोड़ के काम हुए ही नहीं.
3. व्यक्तिगत लाभ के कार्य मनरेगा योजना में अत्यधिक मात्रा में स्वीकृत किए गए जिसमें मनरेगा एक्ट की पालना नहीं हुई.
4. एससी, एसटी ,बीपीएल ,राजकिय योजना में आवास के लाभार्थी ,दिव्यांग, एकल महिला परिवारों को पूरी तरह लाभान्वित किए बिना नियमों को दरकिनार कर लघु एवं सीमांत कृषकों के कार्य स्वीकृत किए गए.
5. बाड़मेर जिले में मनरेगा के तहत ग्रेवल सड़कों का निर्माण किया गया ,जिनमें ग्रेवल के स्थान पर अन्य सामग्री का उपयोग किया गया और स्थानीय सामग्री का उपयोग कर उसे कई किलोमीटर दूर से कार्यस्थल पर लाया जाना बताया गया.