जयपुर. राज्य सरकार की ओर से सरपंचों के वित्तीय अधिकार छीनने से 11 हजार से अधिक सरपंच नाराज हैं. इसी नाराजगी के कारण जयपुर जिले के सरपंचों ने बुधवार को जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. सरपंचों ने 21 जनवरी को ग्राम पंचायतों की तालाबंदी करने की चेतावनी दी है.
वित्तीय अधिकार छीनने पर सरपंच लामबंद स्टेट फाइनेंस कमिशन का पैसा अब सीधा पंचायतों के खातों में ट्रांसफर नहीं होगा बल्कि अब वित्त विभाग के पीडी खाते से पंचायतों को पैसा लेना पड़ेगा. सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदेशभर के सरपंच लामबंद हो गए हैं. जयपुर जिले के सरपंचों ने भी लामबंद होकर जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर नारेबाजी की. सरकार की ओर से सभी पंचायतों के लिए पीडी खाता खोलने का काम भी चल रहा है. इसी पीडी खाते से सरपंचों को विकास कार्यों के लिए पैसा दिया जाएगा.
सरपंचों ने जताया विरोध
सरपंचों ने बुधवार को जिला कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा को सीएम अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन भी सौंपा. ज्ञापन के जरिए सरपंचों ने पीडी खाते खोलकर संवैधानिक वित्तीय अधिकारों में की जा रही कटौती का विरोध जताया. राजस्थान सरपंच संघ वित्त विभाग और पंचायती राज विभाग के पीडी खाता खोलने के निर्णय का विरोध किया. साथ ही सरपंच संघ ने निर्णय किया कि प्रदेश का कोई भी सरपंच कोषालय में डीडीओ कोड जनरेट नहीं करेगा और ना ही लॉगिन आईडी बनाने के लिए कोई दस्तावेज देगा.
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सरपंचों ने इस बात को लेकर भी विरोध जताया कि सरपंचों को ग्राम पंचायत में संचालित विद्यालय के प्रधानाध्यापक के अधीन कर दिया गया है. राजस्थान के पंचायती राज संस्थाओं के इतिहास में पहली बार हुआ है जहां पंचायती राज संस्थाओं को पांच विभागों का हस्तांतरण कर उनका नियंत्रण दिया है. वहीं, सरपंचों को प्रधानाध्यापक के अधीन कर दिया गया.
'सरपंचों की निजी आय खत्म हो जाएगी'
जोबनेर पंचायत समिति की अध्यक्ष शारदा मेहता सेपट ने कहा कि पीडी खाता खोलने से सरपंचों की निजी आय खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में कुछ ऐसे काम होते हैं जो निजी खाते से ही पूरे होते हैं. सरकार की ओर से सभी कार्यों के लिए फंड नहीं दिया जाता है, इसके कारण ग्राम पंचायतों के विकास कार्य पर भी प्रभाव पड़ेगा.
'गहलोत सरकार का पिछला कार्यकाल बहुच अच्छा था'
शारदा मेहता ने कहा कि गहलोत सरकार का पिछला कार्यकाल बहुत अच्छा था, इसीलिए इस बार भी गहलोत सरकार का ही चुनाव किया गया है. हमें उम्मीद है कि गहलोत सरकार सरपंचों की बात सुनेगी और केंद्र सरकार की तरह हठधर्मिता नहीं अपनाएंगी. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार बिना आंदोलन के ही उनकी बात मान लेगी और 30 जनवरी को होने वाली बैठक के बाद ही सरपंच आगे का निर्णय करेंगे.
सरपंच संघ के कार्यकारी अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने कहा कि अब पंचायतों के फंड में कोई पैसा नहीं आएगा और सरपंचों को ट्रेजरी वालों के पीछे चक्कर काटने पड़ेंगे. गढ़वाल ने कहा कि ग्राम पंचायत के खाते में विकास कार्यों के लिए फंड आता है, उससे मिलने वाले ब्याज से ग्राम पंचायत में विकास कार्य होते हैं.
पहले सीधे ही अकाउंट में ट्रांसफर होती थी राशि
प्रदेश की प्रत्येक ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के लिए स्टेट फाइनेंस कमीशन से सीधा पंचायतों के खातों में पैसा ट्रांसफर होता था. यह राशि साल में दो किस्तों के रूप में पंचायतों के खाते में जाती थी. मध्यम पंचायतों में 10-10 लाख और बड़ी पंचायतों में 15-15 लाख रुपए की 2 किस्तों में पैसा दिया जाता था. पंचायत में विकास कार्यों के लिए सरपंच पंचायत के बैंक अकाउंट से पैसा खर्च करते थे, लेकिन अब यह व्यवस्था बंद कर दी गई है. पहले सरपंचों को खातों की ब्याज की राशि मिल जाती थी, लेकिन अब नहीं मिलेगी.