जयपुर. राजस्थान में बाल श्रम (Child labour in Rajasthan ) रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद यह आंकड़ा कम नही हो रहा है . बाल श्रम और बाल तस्करी को रोकने के लिए राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग ( Rajasthan state Commission for Protection of Child Right ) ने पहल करते हुए उन राज्यों का दौरा शुरू कर दिया है. जहां से सबसे ज्यादा बच्चों को राजस्थान लाया जा रहा है . इसी कड़ी में बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ( Sangeeta Beniwal ) ने 4 दिन तक बिहार का दौरा किया और वहां की वस्तु स्थिति के बारे में जानकारी जुटाई. बिहार दौरे से वापस लौटी संगीता बेनीवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि बिहार में गरीबी और बेरोजगारी ज्यादा (Sangeeta Beniwal said unemployment in Bihar) है. ऐसे में परिजन बच्चों को बाल श्रम के लिए भेजने को मजबूर हैं.
बाल आयोग करेगा एमओयूःराजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की अध्यक्षता में बुधवार को आयोग की फुल कमिशन की बैठक हुई . बैठक में विभिन्न बाल संरक्षण के विषयों को लेकर चर्चा हुई . बाल आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि उनकी 4 दिवसीय बिहार दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए . बाल श्रम और बाल तस्करी में लिप्त बच्चों और उनके पुनर्वास को लेकर अहम चर्चा की गई . बाल श्रम तस्करी और पुनर्वास को लेकर राजस्थान और बिहार बाल आयोग एक एमओयू ( Memorandum of Understanding ) साइन करने जा रहा है. जिससे कि दोनों राज्य मिलकर बाल श्रम के इस अभिशाप को खत्म कर सकें.
सामाजिक और आर्थिक बड़ा कारणः संगीता बेनीवाल ने बताया कि अकसर देखा गया है कि सामाजिक और आर्थिक समस्या के चलते बिहार से बाल श्रमिकों का राजस्थान में आगमन होता है. आंकड़ों के विश्लेषण से सामने आया कि राजस्थान में अन्य राज्यों से मुक्त करवाए गए बच्चों में अधिकांश बिहार राज्य के निवासी हैं. संगीता बेनीवाल ने कहा कि वह बिहार के उस गांव तक पहुंची जहां से सबसे ज्यादा बाल श्रम के लिए बच्चों को राजस्थान लाया जाता है. उन्होंने कहा कि गांव और उसके आसपास के क्षेत्र की स्थिति को देखने पर यह समझ में आता है कि बिहार में बेरोजगारी और गरीबी एक बड़ा कारण है. जिसकी वजह से बच्चों को बाल श्रम के लिए भेजा जा रहा है.