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विधानसभा में पायलट कैंप के विधायक ने खोला अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा, कहा- बजट में मेरे क्षेत्र को क्यों नहीं दी गई सड़कें

पायलट कैंप के विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा में अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्होंने अपने क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगाया और कहा कि बजट में उनके क्षेत्र को एक भी सड़क नहीं दी गई है. एक सड़क जो दी गई है वो भी नाम मात्र के लिए है, उसका मेरे विधानसभा क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है.

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विधायक हेमाराम चौधरी

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Published : Mar 17, 2021, 9:58 PM IST

जयपुर.राजस्थान विधानसभा में आज सड़क एवं पुल की अनुदान मांगों में बहस में भाग लेते हुए पायलट कैंप के विधायक हेमाराम ने अपनी ही सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि मेरे क्षेत्र की सड़कों को क्यों नहीं बजट में शामिल किया गया, अगर मुझ से दुश्मनी थी तो ठीक है. लेकिन मेरे क्षेत्र की जनता ने क्या किया. उन्होंने अपने यहां एक सड़क के टेंडर में घोटाला होने के आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे क्षेत्र में जब ठेकेदार एक्सईएन के तबादले सिंगल ऑर्डर से करेंगे तो फिर एक विधायक के तौर पर मैं क्या करूंगा.

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जब उन्हें समय कम होने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि आज मुझे बोलने नहीं दिया जाएगाऔर मैं जानता हूं कि इसका नुकसान मुझे उठाना पड़ेगा. लेकिन मैं अपनी जनता की आवाज जरूर उठाऊंगा. दरअसल हेमाराम चौधरी ने अनुदान की मांगों पर बहस में भाग लेते हुए कहा कि जिस प्रकार से पंचायत मुख्यालयों को सड़क से जोड़ने की घोषणा की है तो जो गांव सड़क से वंचित हैं. उनको भी सड़क से जोड़ने की घोषणा करें.

विधायक हेमाराम चौधरी

2021 में एक भी गांव सड़क से नहीं जुड़ा और यह 2021-22 का बजट है. इसलिए इस बजट में 2011 की जनगणना को आधार मानकर 700 से नीचे की आबादी के कुछ तो गांव जोड़े. 20-21 में भी एक गांव नहीं जोड़ा. इस साल भी एक भी गांव को जोड़ने की बात बजट में नहीं की गई. इसका मतलब जो गांव सड़क से वंचित है क्या वह हमेशा वंचित रहेंगे. क्योंकि आगे के लिए भी इन गांवों को लेकर 3 साल के लिए कोई बात नहीं कही गई.

हेमाराम ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र गुडामालानी में 2011 की जनगणना के अनुसार केवल 62 गांव के सड़क से जुड़ना बाकी होने की बात कहते हुए कहा कि दो-तीन गांव तो इनमें से जोड़ें क्योंकि हर साल कुछ गांव जुड़ेंगे तो ही तो गांव सड़कों से जुड़ पाएंगे. अगर आप गांव को जोड़ेंगे ही नहीं तो हमेशा ऐसे ही रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के समय शुरू किया गया गौरव पथ हमारी सरकार ने इसको दूसरे नाम से रखा. गौरव पथ कुछ नहीं है. गांव में बनी हुई सड़कों को उखाड़ कर उसकी जगह बस दूसरी सड़कें बनाते हैं.

विधायक हेमाराम चौधरी

मेरे यहां भी गौरव पथ के नाम पर सड़क मांगी गई तो मैंने कहा कि मुझे गौरव पथ में सड़क नहीं चाहिए ओर मैंने नाम नहीं दिया. लेकिन उसके बाद मुझे पूछा गया कि जितना अमाउंट हम गौरव पथ में देते हैं और दूसरी सड़क का नाम दे दो मैंने दूसरी सड़कों के नाम दिए. लेकिन उनकी भी स्वीकृति नहीं दी गई. गौरव पथ को जो पैसा दे रहे हैं दूसरी सड़क के लिए दे दें लेकिन पैसा तो दें. पिछली सरकार के समय ऐसा होता था. उन्होंने अपने यहां सड़कों के लिए भूमि अधिग्रहण की बात उठाते हुए कहा कि राजस्थान सरकार ने मेरी विधानसभा में कुछ सड़कों के लिए मुआवजा स्वीकृत किया.

उनमें मुआवजा काश्तकारों को भेजा गया कुछ किसानों ने उस समय पैसा नहीं लिया मुआवजे के तौर पर ऐसे में वह पैसा वापस जयपुर आ गया. अब उन बातों को कई साल हो चुके हैं जो काश्तकार वंचित रह गए हैं उनको मुआवजा देने की बात पिछले सत्र में मैंने उठाई थी. आज भी उठा रहा हूं. उन्होंने कहा कि मेरे विधानसभा की 3 सड़कें हैं जिनका मुआवजा ज्यादा नहीं है. उनमें से कुछ लोगों ने मुआवजा नहीं लिया जो अब दिया नहीं जा रहा है. जबकि में ढाई साल से चिल्ला रहा हूं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है, यह सुनवाई कब होगी.,

विधायक हेमाराम चौधरी

हेमाराम ने कहा कि कांग्रेस के पिछले शासनकाल में मेरे विधानसभा गुड़ामनाली में अनुसूचित जाति के लिए छात्रावास के भवन के लिए सवा दो करोड़ रुपए स्वीकृत किए. जिसे पिछली सरकार ने निवेश कर दिया और जब इस साल हमारी सरकार बनी तो हमारी सरकार ने भी उसे निरस्त कर दिया. जैसा भाजपा ने किया वहीं हमने कर दिया तो फिर इनमें और हमारे में क्या फर्क है. वह भी एक अनुसूचित जाति का छात्रावास और उसकी बिल्डिंग निरस्त कर दी गई मुझे अफसोस है और दुख है. अनुसूचित जाति के छात्रावास के भवन को तुरंत स्वीकृत करें केवल अनुसूचित जाति की बात करने से उनका भला नहीं होगा छात्रावास भवन बनेगा उसमें बच्चे पढ़ेंगे तब जाकर अनुसूचित जाति का भला होगा.

छात्रावासों को निरस्त करने से कोई फायदा नहीं है. किसके कहने पर ये छात्रावास निरस्त किए. इसके आगे उन्होंने सड़कों पर बात करते हुए कहा कि सड़कों के लिए पैसा दिया गया है. नगर निगम, नगर परिषद ,नगर पालिका को 30 किलोमीटर, 20 किलोमीटर, 10 किलोमीटर सड़कें दिए गई हैं. मेरे यहां ना नगर निगम है, ना नगर परिषद है, ना नगर पालिका ऐसे में वह सड़कें भी मुझे नहीं मिली हैं. दूसरी कोई सड़क मुझे नहीं मिली है. सिर्फ 5 करोड़ रुपए हर विधानसभा के नाम पर जो मिलने हैं वह लाभ मुझे मिलेगा उसके अलावा मुझे कोई सड़क नहीं दी गई है. ऐसे में मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी सड़कों का ख्याल कर ले तो अच्छा रहेगा. मेरे से अगर कोई दुश्मनी है तो आप जो सजा मुझे दें वह मैं भुगतने को तैयार हूं लेकिन गुड़ामलानी की जनता ने तो कोई गलती नहीं की जो उन्हें सड़कों से वंचित रखा जा रहा है.

चौधरी ने कहा कि आप ने बजट में एक सड़क होशियारी से मेरी विधानसभा को दी है सायला -बागोड़ा- गुडामालानी. इसमें गुडामनाली का केवल नाम डाल दिया गया. गुडामालानी का उस सड़क से कोई लेना-देना नहीं ताकि यह कहने को हो जाए कि गुडामालानी को सड़क दी गयी है. इसमें केवल गुडामलानी नाम है ना नाम से राजी होंगे या सड़क से राजी होगी गुड़ामलानी की जनता. उन्होंने एक टेंडर में हो रहे घपले की भी बात भी सदन में उठाते हुए कहा कि 2020 में 31 सड़कें 704 करोड़ रुपए 13 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई. टेंडर हो गए टेंडर खोल दिए गए लेकिन वर्क आर्डर जारी नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि चीफ इंजीनियर के यहां से आदेश गया की अग्रिम कार्रवाई रोक दी गई है. अब उनको वर्क आर्डर नहीं दे रहे हैं. अब 2021 की सड़क जिसकी स्वीकृति हो चुकी है उसके वर्क आर्डर नहीं दे रहे हैं तो फिर यह सड़कें कब बनेगी. अगर 20-21 की सड़कों के हाल यह है तो फिर 21-22 की सड़के कब मिलेंगी. इसका जवाब दे सरकार कि यह टेंडर क्यों रोके गए. मेरे विधानसभा की भी एक सड़क है जिसे रोक दिया गया. हेमाराम ने कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक सनावड़ा -मेलू- गुडामालानी सड़क स्वीकृत हुई और सड़क में जो टेंडर हुए उस टेंडर में 10 करोड़ की स्वीकृति थी.

उसके अंदर मिलीभगत करके -4.70 पर एक जैन कंस्ट्रक्शन कंपनी को ठेका दिया गया और मैनिपुलेट करके 4.70 ले लिया. उसमें 7 कांट्रेक्टर आए 7 लोगों ने इसमें ऑनलाइन आवेदन किया. निविदाओं में निविदा ऑनलाइन हुई और डीडी ऑफलाइन जमा कराना है ऑफिस में, डीडी ऑफलाइन इसलिए रखा गया कि यह काम इस कंपनी को दिया जाना था. अगर ऑनलाइन का प्रावधान होता तो वह कहीं से भी पैसा जमा करा दे. दूसरी कंपनी ने डीडी भी बनवा दी दूसरे कांट्रेक्टर ने 2127800 की डीडी थी कोई इतना बड़ा बेवकूफ है कि इतनी बड़ी राशि का कोई डीडी बनाएं और उसे जमा भी नहीं कराए. लेकिन यहां सब कुछ मैनिपुलेट किया गया और इस रोड पर दो से ढाई करोड़ का घपला किया गया मैंने उस समय भी कहा लेकिन किसी ने नहीं सुना यह बड़ा घपला है वहां पर एक्सईएन था उसको सिंगल ऑर्डर से हटाया गया.

इसलिए हटाया गया क्योंकि वहां एक काम था जो इसी जैन कंस्ट्रक्शन कंपनी ने समय पर पूरा नहीं किया तो उस कंपनी के दबाव में एक्सईएन को वहां से हटना पड़ा. उसकी शास्त्री इंपोज कर दी गई तो यह दबाव पड़ा की यह पेनल्टी रिबोक उसने नही किया तो एक्सईएन को सिंगल ऑर्डर से हटाया गया. दूसरे एक्सईएन को सिंगल ऑर्डर से वहां लगाया गया. जैन कंस्ट्रक्शन कंपनी के चहेते एक्सईएन कहां लगाया गया. उसने फाइनल बिल बनाकर पेनल्टी काटकर ट्रेजरी भेज दिया. कांट्रेक्टर को यह मालूम पड़ा तो उसने एक्सईएन को दबाया कि तुम्हारी हैसियत कैसे हुई कि यह पहले ही क्यों काटी गई. उसके बाद वह एक्स ई एन बिल ट्रेजरी से वापस लेकर आया और पूरा बिल बना कर दिया और आज भी वह पेनल्टी माफ नहीं हुई है और वह पेमेंट उसको हो चुका है.

इस तरीके का मामला चल रहा है ठेकेदारों के कहने पर एक्सईएन की पोस्टिंग होगी और ठेकेदार एक्सईएन को धमकाएंगे कहेंगे तुम्हारी क्या हैसियत तुम यहां से बिस्तर बांध लो आज ही रवाना हो जाओ. मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक्सईएन को 1 दिन में बोरी बिस्तर बांधना पड़े और यह बंधवाया गया तो फिर मैं यहां क्या करूं मैं कहां जाऊं और किससे कहूं. यह विधानसभा है इस विधानसभा में तो अपनी बात तो कम से कम रखूं. मैं जानता हूं कि इसका कुछ नहीं होना है.

उसने ढाई करोड़ पहले कमा लिए और आगे और कमाएंगे, घटिया से घटिया काम करेंगे उसकी अगर जांच करवाई जाए तो सारी परत खुल जाए. उन्होंने इसकी सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि यह जो टेंडर में घोटाला हुआ है. इसकी सीबीआई से जांच करवाई जाए. राजस्थान में कोई एजेंसी ऐसी नहीं है जो इसकी निष्पक्ष जांच कर सकती है. राजस्थान में अगर सुनवाई होती ओर अधिकारी सुनवाई करते तो मैंने तो अधिकारियों के ध्यान में पहले ही यह बात रख दी थी.

जोधपुर के चीफ इंजीनियर को हमने लिखा कि इसके टेंडर दोबारा करे जाएं रेट बहुत कम है 30% का अंतर है इसलिए रीटेंडर जरूरी है. लेकिन एडिशनल चीफ को जयपुर बुलाकर उसे धमकाया गया. ऑफिस में बैठाया गया और उसे जबरन हस्ताक्षर करवाए गए. यह बहुत गंभीर मामला है. साधारण मामला नहीं है. यह जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है जो खाने का अधिकार किसी को नहीं है ना मुझे है ना किसी और को. अगर कोई ऐसा करेगा तो उसे सरकार दंडित नहीं करेगी तो कौन करेगा.

इस पर सभापति ने उन्हें बैठने के लिए कहा तो हेमाराम ने कहा कि मैं तो केवल आज ही बोला हूं मुझे पता है कि मुझे नहीं बोलने दिया जाएगा. मुझे बहुत कुछ कहना था लेकिन आप नहीं बोलने दे रहे हो. बाकी सब लोग रोज बोलते हैं पूरे सदन में मैं आज पहली बार बोला हूं. मुझे बहुत कुछ बोलना है लेकिन आप मुझे बोलने नहीं दे रहे हो, मेरी आवाज को तो दबाया जा सकता है. यहां नहीं बोलने दोगे लेकिन जब कभी भी जहां भी मौका लगेगा मैं बोलूंगा.

मुझे पता है आज बोलने का खामियाजा मुझे भुगतना पड़ेगा. लेकिन मैं वह भुगतने को तैयार हूं. कितनी मुश्किल से वह सड़क मैंने पास करवाई थी और उस सड़क को कोई खा जाए और मैं देखता रहा हूं. इसका मतलब यह हुआ कि आगे आने वाले समय में मुझ पर भी आरोप लगेंगे कि हेमाराम भी इस कमीशन खोरी के खेल में शामिल है. ऐसा मुझ पर आरोप नहीं लगे इसलिए मैं यह बात यहां बोल रहा हूं. हेमाराम ने कहा कि अगर मैंने कोई अपराध किया है तो आप मुझे सजा दीजिए. लेकिन गुडामालानी की जनता को आप क्यों सजा देते हो. अगर गुड़ामलानी की जनता को एक सड़क नहीं दोगे तो क्या यह न्याय है. ऐसे में गुड़ामालानी को भी इस बजट में कुछ दिया जाए.

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