जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहने वाले खिलाड़ी लाल बैरवा के उस बयान को सचिन पायलट का समर्थन मिला है, जिसमें उन्होंने (Pilot Politics in Rajasthan) सोनिया गांधी का हवाला देते हुए सालों से पार्टी से पद लेने वाले नेताओं को अब पार्टी को लौटाने का वक्त होने की बात कही थी.
भले ही पायलट ने इसके लिए गुलाम नबी आजाद का उदाहरण दिया हो, लेकिन उनके कहने का भावार्थ यही था कि जिन बड़े नेताओं को 40-50 साल से पार्टी ने बड़े-बड़े पद-ओहदे देकर सम्मानित किया है, अब पार्टी के लिए कुछ करने की बारी उन नेताओं की है. हालांकि, खिलाड़ी लाल बैरवा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर कहा था कि वह 40 साल से कांग्रेस में बड़े पदों पर हैं और पिछले 20 साल से तो राजस्थान के मुख्यमंत्री और सबसे प्रमुख पदों पर रहे हैं. ऐसे में उन्हें अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसा सम्मानित पद स्वीकार करना चाहिए.
हालांकि, पायलट ने बात वही 40 साल से पदों पर बैठे नेताओं को वापस लौटाने की बात तो कही, लेकिन यह बात कहने के लिए उन्होंने गुलाम नबी आजाद के नाम का सहारा लिया. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी जब स्वयं यह कह चुकी हैं कि जिन बड़े नेताओं को पिछले 40-50 सालों में पार्टी ने बहुत कुछ दिया है, अब उन नेताओं की बारी है कि वह पार्टी को लौटाएं. लेकिन गुलाम नबी आजाद ने ऐसा करने की बजाय ऐसे समय पार्टी छोड़ी, जब कांग्रेस महंगाई के खिलाफ जन आंदोलन करने जा रही है.