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मीजल्स रूबेला टीकाकरण अभियान की शुरुआत, चिकित्सा मंत्री ने कहा ना दें भ्रामक बातों पर ध्यान

बच्चों में होने वाली दो गंभीर बीमारी खसरा और रूबेला से बचाने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान के रूप में टीकाकरण किया जा रहा हैं. इस दौरान जिले के 9 माह से लेकर 15 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को टीके लगाई जायेगी. 22 जुलाई से शुरू हुए खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान के तहत जयपुर के एक निजी विद्यालय में स्वास्थ्य मंत्री ने इस अभियान की शुरुआत की.

जयपुर के एक निजी स्कूल में स्वास्थ्य मंत्री ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत की

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Published : Jul 22, 2019, 6:31 PM IST

जयपुर. खसरा-रूबेला जैसी संक्रामक बीमारी से बचाने के लिए 9 माह से 15 साल तक के बच्चों के टीकाकरण की सोमवार से शुरुआत की गयी. राजस्थान में 2 करोड़ 26 लाख बच्चों के ये टीका लगाया जाने का लक्ष्य हैं.

इस मौके पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने एक निजी विद्यालय में इस अभियान की शुरुआत की. अभियान पहले शिक्षण संस्थाओं में और फिर कम्युनिटीज के बीच जाकर चलाया जाएगा. चिकित्सा मंत्री ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर फैल रही भ्रामक बातों को भी सिरे से खारिज किया.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 2017 से मिजल्स रूबेला टीकाकरण को बतौर अभियान के रूप में चलाया जा रहा है. जिसके तहत सभी स्कूलों आंगनबाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों पर ये टीकाकरण किया जाता है. प्रदेश को 2020 तक खसरा मुक्त करने के लक्ष्य को लेकर ये अभियान करीब एक महीने तक चलेगा.

मीजल्स रूबेला टीकाकरण अभियान की शुरुआत

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि पहले चरण में शिक्षण संस्थाओं और उसके बाद गली-गली जाकर मेडिकल टीम 9 माह से 15 साल तक के बच्चों के टीकाकरण करेगी. साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी ये टीका लगाया जाएगा, ताकि नवजात को इस बीमारी से बचाया जा सके.

कोई साइड इफेक्ट नहीं

अधिकतर पैरेंट्स टीके के साइड इफेक्ट्स के डर के चलते इसको लगवाने से डरते हैं. मगर इस दौरान चिकित्सा मंत्री ने सोशल मीडिया पर चल रही नेगेटिव पब्लिसिटी को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस टीकाकरण का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. वहीं सीएमएचओ नरोत्तम शर्मा ने बताया कि रूबेला रोग जीनस रूबिवायरस के जरिए होता है. ये एक संक्रामक बीमारी है.

क्या हैं लक्षण

किसी को खसरा होने का पहला संकेत होता है शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते होना. ये चकते या निशान पहले कानों के पीछे, गर्दन या सिर पर दिखाई देते हैं. इन चकत्तों के दिखाई देने से तीन दिन पहले ही इसका वायरस शरीर में पहुंच चुका होता है. इसके अलावा कम बुखार भी आना खसरा के संकेत हैं.

इसके सही उपचार के लिए संदिग्ध रोगी के खून में एंटीबॉडीज का होना जरूरी है. खसरे का वायरस अक्सर छींकने या खांसने से हवा में लार या बलगम के द्वारा फैलता है. यह किसी संक्रमित व्यक्ति के बेहद नजदीक खड़ा होकर बात करने से भी फैल सकता है.

रूबेला रोग गर्भवती महिलाओं के भी हो सकता है. रुबेला विशिष्ट रूप से विकसित हो रहे भ्रूण के लिए खतरनाक होता है. जिससे गर्भवती महिलाओं के अबॉर्शन, नवजात की मौत, नवजात को जन्मजात बीमारी का खतरा रहता है.

यही वजह है कि इस अभियान के तहच गर्भवती महिलाओं को भी टीकाकरण किया जाएगा. आपको बता दें कि दुनिया में खसरा से 1 लाख 34 हज़ार मौत और करीब 50 हज़ार लोग रूबेला से प्रभावित हैं.

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