जयपुर. भाजपा में चल रहे घमासान के बीच पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा को दिए नोटिस के बाद पार्टी के भीतर सियासी भूचाल आ गया है. शर्मा ने जहां नोटिस को पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया है, साथ ही प्रदेश भाजपा संगठन और राजस्थान से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं. शर्मा ने ये तक कह दिया कि लड़ाई अगले मुख्यमंत्री के चेहरे कि नहीं, लेकिन प्रदेश में लीडर का चुनाव ऊपर से कहने पर नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं से पूछ कर डेमोक्रेसी के अनुसार होना चाहिए.
'मैं पूर्व मंत्री हूं, प्रदेश महामंत्री को नोटिस देने का अधिकार नहीं'
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा ने कहा कि जो नोटिस दिया गया है वो पूरी तरह गलत है, क्योंकि प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा को नोटिस देने का अधिकार नहीं है. पार्टी का अपना संविधान है, इसमें कुछ व्यवस्था की गई है. शर्मा ने कहा मैं पूर्व मंत्री हूं और जो नोटिस भेजा गया है वह प्रदेश महामंत्री ने भेजा है और उसमें प्रदेश अध्यक्ष को सूचनार्थ दिया गया है ना कि उनके निर्देश पर कोई नोटिस भेजा गया है.
कोरोना काल में बीजेपी ने अच्छा काम नहीं कियाः रोहिताश्व शर्मा यह भी पढ़ेंःभगौड़ा कहने पर गजेंद्र सिंह शेखावत का पलटवार, कहा- महेश जोशी जानते हैं कि जांच निष्पक्ष हुई तो गहलोत सरकार चली जाएगी
शर्मा ने नोटिस को एक साजिश भी बताया और कहा कि नोटिस मुझे मिलने से पहले मीडिया में चला गया और अगर नोटिस देना ही था तो उससे पहले पार्टी सिर्फ दूरभाष पर बात करके पक्ष भी तो जान सकती थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया.
'संगठन महामंत्री से मिलूंगा, प्रदेश अध्यक्ष से नहीं'
रोहिताश्व शर्मा ने केंद्रीय मंत्रियों पर उठाए सवाल रोहिताश्व शर्मा ने कहा कि नोटिस के बारे में प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर से मिलने का समय मांगा है और उनसे मिलकर इस संबंध में बात रखूंगा. शर्मा के अनुसार संगठन महामंत्री ने अमित शाह के कार्यकाल में राजस्थान में अच्छी संख्या में पार्टी का विस्तार किया और नए सदस्य भी बढ़ाए. ऐसे में उनके समक्ष इस पूरी बात को रखूंगा, लेकिन वहां भी बात रखने के बाद समाधान नहीं हुआ तो फिर पत्रकार वार्ता करूंगा और अपने मन की पीड़ा जाहिर करूंगा.
'मुख्यमंत्री चेहरे की लड़ाई नहीं, प्रदेश में लीडर कार्यकर्ताओं की सहमति से बनना चाहिए'
पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा से जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों की ओर से की जा रही बयानबाजी को लेकर सवाल पूछा गया तो शर्मा ने कहा कि लड़ाई अगले मुख्यमंत्री के चेहरे की नहीं है, लेकिन राज्य में लीडरशिप आम कार्यकर्ता की पसंद और सामूहिक निर्णय के बाद ही होना चाहिए ना कि ऊपर से थोपा जाना चाहिए. शर्मा ने कहा कि भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र है और उसी के आधार पर निर्णय होना चाहिए.
यह भी पढ़ेंःEmergency के समय कांग्रेस में मां-बेटे का राज था, आज भी यही हाल : पीपी चौधरी
इस दौरान शर्मा ने बंगाल का भी उदाहरण दिया और कहा कि पूरे देश में भाजपा के पास नरेंद्र मोदी जैसा बड़ा चेहरा है, जिसके पीछे हम सब हैं, लेकिन राज्यों में भी चेहरे होने चाहिए. क्योंकि बंगाल में भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था, लिहाजा केंद्र से मोदी और अमित शाह सहित बड़े चेहरे को भी जाना पड़ा. वहां चुनाव में भाजपा के पक्ष में स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं रही. मतलब साफ है कि राज्यों में भी अब पार्टी को मजबूत लीडरशिप की आवश्यकता है.
'प्रदेश संगठन और केंद्रीय मंत्रियों की कार्यशैली पर भी उठाए सवाल'
शर्मा ने कहा कि मैंने वर्चुअल बैठक के दौरान अपनी बात कही थी और इंटरनल डेमोक्रेसी के तहत कार्यकर्ताओं को अपने मन की बात व्यक्त करने का अधिकार है. शर्मा ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण काल में जिस प्रकार के काम भाजपा की ओर से होना चाहिए वो नहीं हुए, जिसका मुझे दुख था. भाजपा के राजस्थान में तीन केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद वो दूसरे जिलों में नहीं गए और न प्रदेश अध्यक्ष हमारे जिले में आए. इस दौरान शर्मा ने यह तक मान लिया कि कोरोना संक्रमण में प्रदेश भाजपा ने राजस्थान में सही तरीके से विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभाई.
'वसुंधरा समर्थक, इसलिए मेरे खिलाफ साजिश'
पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि मैं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का समर्थक हूं, क्योंकि उन्होंने प्रदेश में अच्छा काम किया है और मुझे शंका इस बात की भी है कि नोटिस भी कुछ इसी कारण मिला है. इस दौरान उन्होंने रामसिंह कस्वा के चुनाव का भी जिक्र किया और कहा कि मैं अभी ज्यादा नहीं बोलूंगा, क्योंकि अभी मुझे संगठन महामंत्री से मिलना है.
यह भी पढ़ेंःExclusive : जल्द होगी नदियों को जोड़ने की शुरुआत, केन-बेतवा नदी को सबसे पहले जोड़ा जाएगा : शेखावत
'स्टेट में बिना लीडरशिप शासन नहीं चलता'
रोहिताश्व शर्मा ने कहा कि राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे ने भाजपा को वटवृक्ष बनाया. शर्मा ने बताया कि भैरों सिंह पार्टी के बड़े नेता थे, उन्होंने भी जोड़ तोड़ कर सरकार बनाई और हम जैसे लोगों को भी पार्टी से जोड़ा, इसके साथ ही वसुंधरा राजे ने भी दो बार पूर्ण बहुमत से राजस्थान में भाजपा की सरकार बनाई. शर्मा ने कहा कि बड़े चेहरे का पार्टी में महत्व होता है. नरेंद्र भाई मोदी बीजेपी और देश में पार्टी का बड़ा चेहरा हैं, राज्यों में भी नेतृत्व होना चाहिए, क्योंकि स्टेट में बिना लीडर के शासन नहीं चलता. शर्मा ने कहा कि लीडर का चुनाव कार्यकर्ताओं की सहमति और पूछकर होना चाहिए.
'मेरे पास बहुत मसाला है, लेकिन अभी नहीं बोलूंगा'
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पूर्व मंत्री ने कहा कि मेरे पास बोलने को बहुत कुछ मसाला है, लेकिन मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा, क्योंकि मुझसे पार्टी रूपी मेरी मां को नुकसान हो सकता है, पहले मैं अपनी बात संगठन महामंत्री के पास रखूंगा. इस दौरान शर्मा ने प्रदेश भाजपा के 'सेवा ही संगठन' के कार्य से अधिक तारीफ वसुंधरा जन रसोई की की, साथ ही अपनी ही पार्टी के प्रदेश संगठन के कामकाज पर भी सवाल उठाए.