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जयपुर: रोडवेज कर्मियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर रैली निकालकर किया प्रदर्शन

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Published : Mar 19, 2021, 11:02 PM IST

जयपुर में शुक्रवार को रोडवेज कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. रोडवेजकर्मियों का कहना है कि उनको साथ सौतेला व्यवहार करते हुए सांतवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है.

रोडवेज कर्मियों का प्रदर्शन, Jaipur News
जयपुर में रोडवेज कर्मियों ने रैली निकालकर किया प्रदर्शन

जयपुर.राजधानी में शुक्रवार को बड़ी संख्या में रोडवेज कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. रोडवेज में भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेडरेशन और सेवानिवृत कर्मचारी महासंघ के आव्हान पर रोडवेजकर्मियों ने सांतवा वेतनमान लागू करने, सेवानिवृत कर्मचारियों के बकाया भुगतान, रिक्त पदों पर भर्ती और रोडवेज में नई बसों की खरीद सहित 19 सूत्रीय मांग पत्र के समर्थन में सिन्धी कैम्प से सिविल लाईन्स फाटक तक रैली निकाली. रैली सिन्धी कैम्प बस स्टैंड से रवाना होकर वनस्थली मार्ग, गवरमेंट हॉस्टल, अजमेर रोड, मिशन कम्पाउण्ड रोडवेज मुख्यालय होती हुई सिविल लाईन्स फाटक तक पहुंची. सिविल लाईन्स फाटक पर रोडवेजकर्मियों ने उग्र प्रदर्शन और नारेबाजी कर रोडवेज मुख्यालय पर परिवहन फैडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष नत्थू सिंह राठौड़ और सेवानिवृत कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष श्रीगोपाल शर्मा की अध्यक्षता में आम सभा की.

जयपुर में विभिन्न मांगों को लेकर रोडवेज कर्मियों का प्रदर्शन

आम सभा को क्षेत्रीय संगठन मंत्री भारतीय मजदूर संघ राजबिहारी शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार रोडवेज के घाटे की चिंता करने का केवल दिखावा करती है. खुद के कार्यकाल और पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के घाटे की जांच कराने का वादा करती है. लोक परिवहन सेवा को परमिट नहीं देने की बात करने के बाद भी परमिट दिए हैं. प्राइवेट बसों को निगम के समानान्तर संचालन करवाकर राज्य सरकार ने निगम के घाटे को बढाने का कार्य किया है. निगम के बस अड्डों के बाहर न्यायालय और परिवहन आयुक्त के नो पार्किंग के आदेशों की पालना नही करवाते हुए निगम के बस अड्डों के बाहर से ही प्राइवेट बसों को सवारी उठाने की गैर कानूनी छूट दी जाती है. रोडवेजकर्मियों की वर्तमान सुविधाओं में कटौती की जा रही है. वेतन और पेंशन के भुगतान समय पर नहीं होते है. बोनस और डीए के लिए भी आंदोलन करने पड़ते हैं. रोडवेजकर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए सांतवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है. सेवानिवृत कर्मचारियों के परिलाभों का भुगतान 4 साल से लंबित हैं. इससे रोडवेजकर्मियों में असंतोष व्याप्त है.

जयपुर में रोडवेज कर्मियों ने रैली निकालकर किया प्रदर्शन

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वहीं, सभा को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय परिवहन मजदूर महासंघ के महामंत्री बृजेशकान्त शर्मा ने कहा कि पूरे भारत में परिवहन उद्योग के कल्याण के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित कर केन्द्र सरकार द्वारा एक केन्द्रीय परिवहन नीति बनाई जानी चाहिए. इसमें परिवहन के लिए काम करने वाले भारतीय परिवहन मजदूर महासंघ से सलाह-मशविरा करते हुए परिवहन उद्योग के उत्थान के लिए नीति निर्धारित कर राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किया जाए. परिवहन निगमों को परिवहन विभाग के अंतर्गत संचालित किया जाए. हर वर्ष नई बसों के लिए राज्य के बजट में बजट प्रावधान कर बस बेड़े को सुदृढ़ किया जाए. संपूर्ण संरक्षण देकर रोडवेज का संचालन हो, जिससे हर राज्य में जनता को उत्कृष्ट परिवहन सेवा मिल सकें. इस दौरान भारतीय मजदूर संघ की केंद्रीय कार्य समिति सदस्य मनीषा मेघवाल ने कहा कि रोडवेज में संचालन से जुड़ी महिलाओं को चाइल्ड केयर लीव नहीं दी जा रही है. बेबी फीडिंग और महिला कर्मचारियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. महिलाकर्मियों के उत्थान, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए रोडवेज प्रशासन को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह तंवर ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ एक राष्ट्रवादी संगठन है, जो राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए उद्योग हित के लिए और श्रमिक हित का संरक्षण करते हुए आन्दोलनात्मक कदम उठाता है. भारतीय मजदूर संघ हड़ताल के विकल्प को अंतिम हथियार के रूप में अपनाता है. रोडवेज के कार्यकर्ताओं को भी राष्ट्रवादी विचारधारा के संगठन में विश्वास कर भारतीय मजदूर संघ की विचारधारा से प्रेरणा लेते हुए हड़ताल जैसे आत्मघाती कदम से दूरी बनाकर उद्योग हित में कार्य करना चाहिए.

भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री दीनानाथ रूथंला ने अपने संबोधन में कहा कि रोडवेजकर्मी अपने आप को अकेला ना समझें. रोडवेजकर्मियों की मांगें वाजिब हैं. भारतीय मजदूर संघ का कार्यकर्ता लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करते हुए राज्य सरकार और प्रबंधन के साथ उचित संवाद रखते हुए अपनी मांगें रखता है. राज्य सरकार को रोडवेजकर्मियों की समस्त मांगों पर विचार कर समाधान का रास्ता शीघ्र निकालना चाहिए. फेडरेशन के साथ भारतीय मजदूर संघ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है. फेडरेशन प्रभारी वरूण तिवाड़ी ने कहा कि राज्य सरकार समय रहते रोडवेजकर्मियों की मांगों का समाधान करें. ऐसा नहीं होने पर चार विधानसभाओं के उपचुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

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प्रदेश महामंत्री महेश चतुर्वेदी के मुताबिक वर्तमान परिवहन मंत्री और भूतपूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने चुनाव पूर्व आमरण अनशन कर रहे फेडरेशन कार्यकर्ताओं की मांगों को वाजिब बताते हुए तत्कालीन भाजपा सरकार की आलोचना की थी और सत्ता में आने पर सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया था. लेकिन, सरकार का आधा कार्यकाल व्यतीत होने के बाद भी हमारी मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया है. ना तो वेतन और पेंशन 1 तारीख को मिलती है और ना ही सेवानिवृत कर्मचारियों को 4 वर्षों से सेवानिवृति परिलाभों का भुगतान किया जा रहा है. राज्य सरकार रोडवेज को नई बसें, रिक्त पदों पर भर्ती तथा सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दे रही है. राज्य सरकार से मांग करते है कि जल्द ही अपने वादे को पूरा कर रोडवेजकर्मियों की मांगों को पूरा करें.

सेवानिवृत कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष श्रीगोपाल शर्मा ने कहा कि सेवानिवृत रोडवेजकर्मियों के परिलाभों का भुगतान कर राज्य सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए वरिष्ठ जनों के हित में निर्णय लेना चाहिए. लोक कल्याण की भावना से कार्य करना चाहिए. सेवानिवृत कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री मुरारी लाल शर्मा ने बताया कि रोडवेजकर्मी सेवानिवृति के बाद चिकित्सा सेवा से वंचित हैं. सेवानिवृत एवं सेवारत रोडवेजकर्मियों को 5 लाख रुपये तक कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिले और समय पर सेवानिवृति परिलाभों का भुगतान होगा तो सेवानिवृत कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.

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