जयपुर. राजधानी में लगातार हो रही बारिश से सड़कें बदहाल हो गई हैं. जगह-जगह पानी भरने से खराब हुई रोड ने सरकारी इंजीनियरिंग की भी पोल खोल दी है. वहीं, अब ये क्षतिग्रस्त सड़कें हादसों को न्योता दे रही हैं. शहर में जयपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम सड़कें बनाने का काम करते हैं, जहां इस बारिश में सैकड़ों शिकायतें दर्ज हुईं.
राजधानी में 11 अगस्त और इसके बाद 14 अगस्त को आई भीषण जल प्रलय ने शहर की सड़कों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसकी भरपाई अब तक नहीं हो पाई है. ये सड़कें अब दुर्घटनाओं को न्योता दे रही हैं. परकोटे का गणगौरी बाजार, रामगढ़ मोड़, पोश एरिया के मालवीय मार्ग, युधिष्ठिर मार्ग और जयपुर की आदर्श रोड जेएलएन मार्ग पर वाहन चलाना हर कोई अपनी शान समझता है, वो भी बारिश के पानी की भेंट चढ़ी. ऐसे में अब जेडीए और नगर निगम की इंजीनियरिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं.
बारिश के दिनों में टूट जाती हैं सड़कें...
जानकारी के अनुसार जेडीए हर साल करीब 250 करोड़ और निगम 100 करोड़ रुपए सड़कों पर खर्च करता है. हर साल 350 करोड़ रुपए से बनने वाली सड़कें बारिश के दिनों में टूट जाती हैं और उसके बाद फिर सड़कों पर अच्छा खासा बजट खर्च किया जाता है. जिम्मेदार ना तो जलभराव को रोकने का काम करते हैं और ना ही इस विकट समस्या का समाधान खोजने की कोशिश करते हैं.
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वॉल सिटी में ब्रह्मपुरी, चांदी की टकसाल, रामगढ़ मोड़ और शहर के मुख्य मार्गों में शामिल सहकार मार्ग, क्वींस रोड मालवीय नगर व सांगानेर ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पानी भरने की हर बार शिकायत आती है. हालांकि, निगम प्रशासन हो या जेडीए प्रशासन अब सड़कों की मरम्मत और इन्हें दुरुस्त करने की बात जरूर कह रहा है.