जयपुर. प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य का अधिकार देने के लिए गहलोत सरकार की ओर से राइट टू हेल्थ बिल लाया जा रहा है. लंबे समय से इस बिल पर काम किया जा रहा था अब फाइनली इस बार विधानसभा में राइट टू हेल बिल पास कर दिया जाएगा. जिसके बाद मरीजों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बनेगा.
संदन में टेबिल किया गया हेल्थ बिल
राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health Bill) से जुड़ा ड्राफ्ट सभी परीक्षण और सुझाव के बाद विधानसभा में टेबिल कर दिया गया है. कल यानी शुक्रवार को सदन में गहलोत सरकार (Gehlot government present Right To Health Bill) स्वास्थ्य का अधिकार कानून पेश करेगी. कानून लागू होने के साथ ही राजस्थान ऐसा पहला राज्य होगा जहां पर प्रदेश के हर व्यक्ति को स्वास्थ्य का अधिकार कानूनी रूप से मिलेगा. इससे मरीजों को कई लाभ (facilities of Right To Health Bill) मिल सकेंगे.
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पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों के साथ हुई बैठक में इस बिल के सभी परीक्षण के निर्देश दिए थे. उस वक्त सीएम गहलोत ने कहा था कि राजस्थान स्वास्थ्य सेवाओं में हमेशा अग्रणी रहा है. प्रदेश में पहले से ही निशुल्क दवा और जांच योजना लागू है. इसके साथ ही चिरंजीवी योजना के तहत सभी निजी अस्पतालों में भी 10 लाख तक का इलाज फ्री है.
ये है बिल में
राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health Bill) के अनुसार मरीज को इलाज से जुड़े कानूनी अधिकार मिल जाएंगे, ऐसे में समस्या होने पर मरीज जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण या फिर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को शिकायत दर्ज करा सकेगा. इसके तहत मरीज वेब पोर्टल या हेल्पलाइन पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकेंगे और 24 घंटे में संबंधित अधिकारियों या पर्यवेक्षक को यह शिकायत मिल जाएगी. जिसके बाद 30 दिन के अंदर शिकायत का निस्तारण जरूरी होगा और यदि इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं होता है तो कंप्लेन राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास पहुंचेगी. ड्राफ्ट के अनुसार जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण में जिला कलेक्टर को अध्यक्ष बनाया गया है.
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यह भी मिलेंगे अधिकार-
- इस बिल के लागू होने के साथ ही कुछ खास जांच और सर्जरी के लिए डॉक्टर सीधे फैसला नहीं ले सकेंगे. इसके लिए मरीज के परिजनों की अनुमति आवश्यक होगी.
- डॉक्टर किसी भी मरीज के साथ भेदभाव करते हुए उसका उपचार करने से मना नहीं कर सकता. जातिगत, रंगभेद या लिंग भेद के आधार पर कोई भी उपचार नहीं होगा.
- किसी भी मरीज को उपचार से पहले उसके इलाज में होने वाले खर्च की जानकारी का अधिकार इस बिल के लागू होने के साथ मिलेगा. मरीज किसी भी अस्पताल में उपचार के लिए जाता है तो पहले वह डॉक्टर से अपने इलाज में होने वाले खर्च की डीटेल मांग सकता है.
- कोई भी महिला अपनी जांच के दौरान अगर मेल डॉक्टर से असहज महसूस करती है तो वह अपने साथ एक महिला को रख सकेगी.
- किसी भी मरीज को अपने उपचार के लिए सेकेंड ऑपिनियन लेने का अधिकार होगा. कोई भी अस्पताल या डॉक्टर मरीज को दूसरे डॉक्टर से सलाह लेने के लिए मना नहीं कर सकता.
- प्रदेश के सभी लोगों को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मिल सकेगा.
- यदि मरीज को लामा (leaving against medical advice) किया जाता है तो उसके इलाज से संबंधित सारी जानकारी संबंधित परिजन को देनी होगी और मरीज की बीमारी की गोपनीयता बनाए रखनी होगी.
- इंश्योरेंस स्कीम में चयनित अस्पतालों में निशुल्क उपचार का अधिकार होगा. हालांकि इस बिल में मरीज और उनके परिजनों को लेकर भी कुछ कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं, जिसके तहत इलाज के लिए आए मरीज को अपने स्वास्थ्य संबंधित सभी जानकारी स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को देनी होगी.