जयपुर. राजस्थान विधानसभा में 5 घंटे से अधिक देर चर्चा के बाद भी राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक 2022 पारित न हो सका (Right to Health Bill not passed) और इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया. बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी ने जहां बिना तैयारी इस बिल को लाने का आरोप लगाते हुए मौजूदा कानून के अनुरूप प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग ही नहीं होने की बात कही तो वहीं स्वास्थ्य मंत्री ने चर्चा के बाद इस बिल को आवश्यक सुझाव के लिए प्रवर समिति में भेजने का एलान कर दिया.
इससे पहले सदन में इस महत्वपूर्ण बिल पर करीब 5 घंटे लंबी चर्चा हुई. इस दौरान लगभग हर भाजपा और विपक्षी विधायक ने इस विधेयक की खामियां गिनाई. साथ ही यह भी कहा कि बिल बनाने से पहले न तो इंडियन मेडिकल काउंसिल से सुझाव और राय ली गई और न ही इस कानून के दायरे में आने वाले विभिन्न पक्षों की राय और सुझावों को उसमें शामिल किया गया. ऐसे में यदि सरकार इस कानून को बनाकर लागू भी कर देगी तो इसका फायदा जनता को नहीं मिल पाएगा.
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भाजपा विधायकों ने सदन में सरकारी चिकित्सालयों में डॉक्टर सहित विभिन्न कर्मचारियों की कमी के आंकड़े भी गिनाए और प्रदेश में चल रही मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना की खामियां गिनाते हुए अपनी बात रखी. भाजपा विधायकों ने यह भी कहा कि इस सदन में मौजूद सभी विधायक चाहते हैं कि यह कानून राजस्थान में लागू हो और जनता को उसका लाभ मिले लेकिन बिना तैयारी के इसको लागू कर दिया गया तो लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा.
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कांग्रेसी विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी जताई आपत्ति
भाजपा विधायकों ने तो इस विधेयक पर चर्चा के दौरान आपत्तियां जताईं ही लेकिन खास ये है कि कांग्रेस विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी बिल को लेकर नाराजगी जताई. जितेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा को संबोधित करते हुए कहा कि जब इस महत्वपूर्ण बिल को लाया गया तो कम से कम इसमें डॉक्टर की राय तो ले ही लेनी चाहिए थी. सदन में एकमात्र डॉक्टर में ही हूं. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि इस बिल को लागू करने के लिए आप जो कमेटी का गठन करेंगे उसमें कम से कम चिकित्सकों को जरूर शामिल करें. इसके साथ ही इस कानून में डॉक्टरों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए क्योंकि जब तक डॉक्टर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेगा, वह किसी गंभीर मरीज का उपचार भी नहीं कर सकेंगे और उसे आगे रेफर कर देंगे.
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प्रवर समिति आगामी सत्र के प्रथम सप्ताह में पेश करेगी प्रतिवेदन- स्वास्थ्य मंत्री
बिल पर चर्चा के बाद सदन में स्वास्थ्य मंत्री प्रसादी लाल मीणा ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने पास कर दिया. चिकित्सा मंत्री ने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र के पहले सप्ताह में प्रवर समिति इस विधेयक के मामले में अपना प्रतिवेदन पेश करेगी. चिकित्सा मंत्री ने कहा कि प्रवर समिति के सदस्यों की सूची जल्द घोषित कर दी जाएगी और समिति 7 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
कानून व्यवस्था पर नहीं हुई चर्चा
शुक्रवार को सदन में प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी चर्चा होनी थी लेकिन स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पर लंबी बहस होने के कारण नहीं हो पाई. सदन में स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा की जल्द ही विधानसभा का सत्र बुलाकर कानून व्यवस्था के ऊपर भी चर्चा की जाएगी. फिलहाल सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.