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जब कानून के रक्षक को सताए मौत का डर, तो आम आदमी की क्या बिसात! बम धमाके के आरोपियों को सजा सुनाने वाले जज ने मांगी सुरक्षा - अजय कुमार शर्मा ने सुरक्षा की लगाई गुहार

जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के गुनहगारों को फांसी की सजा सुनाने वाले रिटायर्ड जज अजय कुमार शर्मा ने अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है. उन्होंने डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव को पत्र लिखकर सरकार की ओर से मुहैया करवाई गई सुरक्षा को ना हटाने की अपील की है.

जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट, Jaipur serial bomb blast
रिटायर्ड जज अजय कुमार शर्मा

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Published : Sep 10, 2020, 2:59 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 10:43 PM IST

जयपुर.राजधानी में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के गुनहगारों को फांसी की सजा सुनाने वाले जिला एवं सत्र न्यायालय के रिटायर्ड जज अजय कुमार शर्मा को अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता सता रही है.

दरअसल, रिटायर्ड जज अजय शर्मा को वर्तमान में जो सुरक्षा सरकार की ओर से मुहैया करवाई गई है उसको लेकर अजय शर्मा को यह सूचना मिली की पुलिस लाइन के अधिकारियों द्वारा उन्हें दी गई सुरक्षा को हटाया जा रहा है. जिस पर अजय शर्मा ने डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव को पत्र लिखकर जान माल की सुरक्षा करने की गुहार लगाते हुए सरकार की ओर से मुहैया करवाई गई सुरक्षा को ना हटाने की अपील की है.

जयपुर ब्लास्ट में सजा सुनाने वाले जज ने सुरक्षा की गुहार लगाई

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अजय शर्मा की ओर से पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि उन्होंने 20 दिसंबर, 2019 को जयपुर बम ब्लास्ट के चार गुनहगार आतंकवादी मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सलमान और सैफुर्रहमान को मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. यह तमाम आतंकवादी आईएसआईएस जैसे खतरनाक आतंकवादी संगठन से संबंध रखते हैं. 31 जनवरी, 2020 को अजय कुमार शर्मा जिला न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. पत्र में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि आईबी की रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है की अजय शर्मा और उनके परिवार से आतंकवादी ग्रुप बदला ले सकता है. जिसके चलते उन्हें और उनके परिवार की जान को आतंकवादियों से बेहद खतरा है.

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रिटायर्ड जज को यह सूचना मिली की जो गार्ड और पीएसओ उनकी सुरक्षा में लगाए गए हैं उन्हें हटाया जा रहा है. सूचना पर रिटायर्ड जज अजय कुमार शर्मा की ओर से डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव को पत्र लिखकर सुरक्षा व्यवस्था को वापस ना लेने की अपील की गई है. अपने पत्र में अजय कुमार ने इस बात का भी जिक्र किया है कि 2 अक्टूबर, 1989 को एक जज नीलकंड गंजू को सरेआम मार दिया गया था, क्योंकि नीलकंड गंजू द्वारा साल 1984 में आतंकी मकबूल भट्ट को मौत की सजा सुनाई गई थी. ऐसे मामलों में न्यायाधीश और उनके परिवार की सुरक्षा का दायित्व सरकार का है.

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पत्र में कहा गया कि वह 31 जनवरी को रिटायर हो चुके हैं. पिछले कुछ दिनों से उनके घर के बाहर संदिग्ध गतिविधियां हो रही है. कुछ लोग मोटरसाइकिल पर उनके घर के बाहर चक्कर काटते हैं और कई बार इन लोगों ने मोबाइल से उनकी फोटो भी खींचे हैं. फिलहाल, उन्हें 5 सुरक्षाकर्मी और 2 पीएसओ मिले हुए हैं. उन्हें सूचना मिली है कि पुलिस लाइन के अधिकारी उनके गार्ड और पीएसओ को हटा रहे हैं.

पत्र में कहा गया कि मेरा सिर्फ इतना कसूर है कि मैंने 4 खूंखार आतंकवादियों को मौत की सजा सुनाई है. इसके अलावा मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मैं निजी तौर पर सुरक्षाकर्मी रख सकूं. ऐसे में मेरी और मेरे परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 10:43 PM IST

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