जयपुर. राजधानी के एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों ने एक बार फिर इतिहास रचा है. बता दें कि मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक विभाग के चिकित्सकों की टीम ने एक छोटे चीरे द्वारा दो विकृतियों को सही किया. जिसमें मरीज के हृदय में बने छेद को बंद किया गया. तावी तकनीक का यह ऑपरेशन अनुसंधान के तहत निशुल्क किया गया है. जिसका खर्चा प्राइवेट अस्पताल में करीब 20 लाख रुपये आता है.
वहीं दूसरी ओर तावी तकनीक द्वारा 69 वर्षीय फुलेरा निवासी मरीज शिवनारायण का भी सफल इलाज किया गया. कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुधीर भंडारी ने बताया कि सीटीवीएस विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा और उनकी टीम ने छाती में 3.5 इंच का चीरा लगाकर दिल की विकृतियों को अंजाम दिया है. उन्होंने बताया कि धौलपुर की रहने वाली एक 25 वर्षीय महिला मरीज को वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट जिसे साधारण भाषा में दिल में छेद कहा जाता है और महाधमनी के एओर्टिक वाल्व में अत्यधिक लीक होने वाले इन्फेक्शन की समस्या थी.
वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सामान्यता 1000 में से 3 से 6 बच्चों में होता है. अगर इस बीमारी का बचपन में ही पता लग जाए और वाल्वों को बदलने की जगह वाल्वों को रिपेयर करने से भी काम चल सकता है. लेकिन इस मरीज का वाल्व खराब हो चुका था. ऐसे में वाल्व को बदलने की सर्जरी करना जरूरी था. खास बात यह रही कि इस सर्जरी में छाती की हड्डी नहीं काटी गई और एक ही चीरे से दिल की दोनों विकृतियों को ठीक कर दिया गया.