जयपुर. जिले के रेनवाल कस्बे का एक मात्र चिल्ड्रेन पार्क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. प्रशासन की अनदेखी से यह पार्क वीरान हो चुका है. पिछले दस वर्ष से चिल्ड्रेन पार्क के गेट पर ताला लगा हुआ है. 1956 में झामावाली मैदान पर स्वर्गीय भूरामल फलोड़ की प्रेरणा से यह पार्क बनाया गया था. उस समय पार्क में बैठने की सुंदर व्यवस्था की गई थी तथा बच्चों के खेलने के पूरे संसाधन मौजूद थे.
चिल्ड्रेन पार्क बहा रहा बदहाली पर आंसू पार्क में मोगरा, हजारा, चंपा, चमेली के फूलों की खुशबू व जमीन पर हरी घास लोगों को सुकून पहुंचाते थे. लोग अपने मेहमानों को चिल्ड्रेन पार्क घुमाने लाते थे. पार्क के शुरुआती वर्षो में तत्कालीन राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय चौधरी हरलाल सिंह जी ने चिल्ड्रेन पार्क में एक पौधा लगाकर वृक्षारोपण दिवस मनाया था. उसी दौरान राजस्थान सरकार के तत्कालीन वितमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय ने पार्क को देखकर इसे ग्रामीण विकास की एक कडी बताया था.
प्रशासन की अनदेखी से वीरान हो चुका पार्क पार्क को विकसित करने में रेनवाल के प्रथम सरपंच स्वर्गीय बलबीर सिंह राघव व वरिष्ट साहित्यकार स्वर्गीय वैद्य पुरुषोत्तम दत्त प्रमत ने अहम भूमिका निभाई थी. पानी की एक-एक बाल्टी लाकर इसमें पौधे विकसित किए गए थे, लेकिन आज चिल्ड्रन पार्क पूरी तरह से वीरान हो चुका है. पार्क में न कोई घास है और ना कोई पौधा. करीब दस वर्ष से पार्क के गेट पर ताला जड़ा हुआ है. करीब तीन हजार वर्गगज में फैले पार्क में मात्र पांच-सात पुराने पेड ठूंठ के रूप में शेष बचे हैं, जो अपनी बर्बादी की कहानी बयां कर रहे हैं.
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नगरपालिका गठन के बाद पार्क के शुरू हुए बुरे दिन रेनवाल में जब तक ग्राम पंचायत रही, पार्क की देखभाल अच्छी तरह से होती रही. पंचायत द्वारा लगाए गए बागवान पेड़ पौधों की सार संभाल करता रहा, लेकिन वर्ष 1990 में नगरपालिका गठन के बाद से इसकी दुदर्शा होना शुरू हो गई. पार्क के लिए लगाया गया बागवान को यहां से हटाकर नगरपालिका में लगा दिया गया. झामावाली कुएं में पानी कम होने के बाद पार्क का पानी भी बंद हो गया. हांलाकि तत्कालीन पालिकाध्यक्ष केलाश शर्मा के कार्यकाल में पार्क की चारदीवारी बनाई गई.
पार्क की स्थिति खराब होने के बाद झामावाली के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ने इसे अपने कब्जे में ले लिया, जबकि उक्त पार्क स्कूल से पुराना है. विद्यालय प्रशासन द्वारा पश्चिम दिशा में गेट निकालकर कुछ समय इसे हराभरा करने का प्रयास किया, लेकिन बाद में सब बंद हो गया. स्कूल प्रशासन द्वारा इसकी कोई सार संभाल नहीं की जाती है. पार्क में जगह-जगह कूड़े करकट के ढ़ेर लगे हैं. पिछले करीब दस वर्ष से पार्क के बाहर ताला लगा है. गेट का हिस्सा गिरने के कगार पर है.
पार्क में हरियाली के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है. पिछले कई वर्षों से यहां के जागरूक लोग नगरपालिका प्रशासन व विधायक से पार्क की दशा सुधारनें की मांग करते रहे हैं, क्योंकि चिल्ड्रन पार्क के अलावा शहर में काेई पार्क नहीं है, जहां कुछ पल बैठकर राहत मिल सके. लेकिन किसी ने पार्क की सुध लेने का प्रयास ही नहीं किया है. नगर पालिका शहर में अन्य जगह तो पार्क बनानें की बात करती है, लेकिन 63 वर्ष पुराने इस चिल्ड्रन पार्क को की तरफ आंखे बंद कर रखी है.