जयपुर. शहर में शनिवार को बारिश के चलते रीट परीक्षा केंद्रों पर कई अभ्यर्थी पहली पारी में तय समय सुबह 9:00 बजे और दूसरी पारी में दोपहर 2:00 बजे नहीं पहुंच (Reet examinees faced trouble due to rain) पाए. ऐसे अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र में दाखिल नहीं होने दिया गया. इस पर कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सवाल उठाते हुए उन अधिकारियों को आड़े हाथों लिया, जिन्होंने ये नियम बनाया. खाचरियावास ने दो टूक शब्दों में कहा कि अधिकारियों की ड्यूटी नकल रोकने की है ना कि अभ्यर्थियों को रोकने की. किस नियम के तहत अधिकारी ने एग्जाम टाइम से पहले अभ्यर्थियों को रोकने के निर्देश दिए.
खाचरियावास ने कहा कि रीट पात्रता परीक्षा में आज बड़ी गड़बड़ हुई. एग्जामिनेशन के रूल्स रेगुलेशन के अनुसार अभ्यर्थी को एक घंटा पहले बुला सकते हैं. लेकिन उसे 10:00 बजे से पहले एग्जाम सेंटर पर घुसने से नहीं रोक सकते. उस महान अधिकारी से जवाब लिया जाएगा, जिसने 9:00 बजे बाद अभ्यर्थी को एग्जाम सेंटर में दाखिल नहीं होने दिया. राजस्थान विश्वविद्यालय एग्जाम के आधे घंटे बाद तक भी परीक्षार्थी को अनुमति देता है. इसमें अभ्यर्थी का समय कम हो रहा है, अधिकारी को क्या तकलीफ हो रही है.
खाचरियावास बोले सीएम से करेंगे बातःउन्होंने कहा कि बरसात में दिक्कत हो गई. अधिकारी हैं कौन अभ्यर्थियों को रोकने वाले. इस संबंध में उन्होंने कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रधान सचिव कुलदीप रांका से भी बात की. खाचरियावास ने बताया कि उनके पास भी अभ्यर्थियों के फोन आए. कई परीक्षा केंद्रों के बाहर अभ्यर्थी रोते रहे. फिर भी उन्हें अनुमति नहीं दी. उन्होंने सवाल किया कि आखिर ये किस अधिकारी का आदेश था, इस संबंध में पहले शिक्षा मंत्री और फिर मुख्यमंत्री से बात की जाएगी. सवाल किया जाएगा कि ऐसा कौन अधिकारी है जिसे बरसात होती नहीं दिख रही. अधिकारियों की ड्यूटी नकल रोकना है, अभ्यर्थी को एग्जाम से रोकना नहीं. अधिकारी बताएं कि कौन से एग्जामिनेशन का ये रूल है. खाचरियावास उन्होंने कहा कि अधिकारी पर कार्रवाई करना उनके हाथ में होता तो अब तक कर चुके होते, इसके लिए वो मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से कहेंगे.
संत विजय दास के निधन पर व्यक्त किया दुख: कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने संत विजय दास के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान सरकार और प्रदेश वासियों को उनके निधन का दुख है. उनका संघर्ष हमेशा के लिए अमर हो गया. क्योंकि उन्होंने अवैध खनन को लेकर बरसों लड़ाई की और इसी लड़ाई में उन्होंने खुद को आग लगाकर आत्मदाह की कोशिश की. हालांकि राजस्थान सरकार ने उनको इलाज के लिए दिल्ली तक भेजा. लेकिन इलाज नहीं हो पाया. लेकिन अब वहां पूरा खनन बंद कर दिया गया है.