जयपुर. राजस्थान में हुए मंत्रिमंडल फेरबदल (Cabinet Reshuffle in Rajasthan) और इससे पहले सियासी उठापटक के दौरान सरकार राजस्थान की आम जनता की सेहत को भूल गई. पहले जहां प्रदेश की जनता कोरोना संक्रमण (Corona) से त्रस्त थी, तो वहीं कोरोना का कहर कम होने के बाद डेंगू ने राजस्थान (Dengue cases in Rajasthan) को अपनी चपेट में ले लिया. जब राज्य सरकार को डेंगू से निपटने के संसाधन जुटाने चाहिए थे. तब सरकार सियासी समीकरण तैयार करने में जुटी हुई थी. ऐसे में पहली बार प्रदेश में 17 हजार से अधिक डेंगू के मामले रिकॉर्ड किए गए हैं.
प्रदेश में 17500 से अधिक डेंगू के मरीज चिन्हित हो चुके हैं. वहीं एक महीने की बात करें तो तकरीबन 10,000 नए मरीज डेंगू के सामने आ चुके हैं. बीते 2 महीने से प्रदेश में डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन प्रदेश में हो रही सियासी उठापटक के कारण इस पर रोकथाम नहीं लग पाई. तत्कालीन चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा (Dr Raghu Sharma) को गुजरात राज्य का प्रभार सौंपा गया और जब प्रदेश में डेंगू फैल रहा था तो वे गुजरात में पार्टी की जमीन मजबूत करने में लगे हुए थे.
ऐसे में डेंगू पर ध्यान किसी का नहीं गया. इसके अलावा प्रदेश में संसाधनों की कमी भी डेंगू के बढ़ने का एक कारण है. चिकित्सा विभाग मच्छरों को पनपने से रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा. नगर निगम की ओर से समय पर फागिंग तक शुरू नहीं हो पाई. एक कारण यह भी निकल कर सामने आया कि नगर निगम के पास पर्याप्त फागिंग मशीनें ही नहीं हैं.
इस साल बना रिकॉर्ड
डेंगू के मामलों की बात करें तो बीते 2 साल के बाद डेंगू का डंक एक बार फिर डराने लगा है. पहली बार राजस्थान में इतनी बड़ी संख्या में डेंगू के मामले सामने आए हैं. वर्ष 2018 में डेंगू के 9911 मामले सामने आए थे जबकि 14 मरीजों की मौत हुई थी. वर्ष 2019 में 13686 डेंगू के मामले देखने को मिले थे और 18 मरीजों की मौत हुई. वहीं वर्ष 2020 में 2023 मामले डेंगू के देखने को मिले और इस दौरान 7 मरीजों की मौत हुई. वर्ष 2000-21 की बात करें तो अब तक डेंगू के तकरीबन 17600 से अधिक मामले आ चुके हैं और 50 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है.