जयपुर. सरकार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए मुहिम चलाती है और बड़े -बड़े बायदे करती है. गरीब परिवार के बच्चे स्कूल आए इसके लिए मिड-डे-मील, दूध योजना, छात्रवृति, साइकल, पोशाक सहित कई सुविधाएं देती है लेकिन लगता है ये सभी सुविधाएं होने के बावजूद शिक्षा के स्तर में सुधार होना तो दूर बल्कि बच्चों को उनकी मातृभाषा का बेसिक नॉलेज भी नहीं.
ईटीवी भारत की संवाददाता ने जब विद्यार्थियों से अंग्रेजी के रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाले कुछ शब्दों का अर्थ हिंदी में पूछा तो 99 प्रतिशत बच्चे सोच में पड़ गए जैसे उनने जीके का कोई भारी भरकम सवाल पूछ लिया गया हो. खैर बच्चे तो इस टेस्ट में फेल हुए ही लेकिन यहां बच्चों के अलावा शिक्षक से लेकर वो सभी लोग जिम्मेदार हैं जिनका इस ओर कभी ध्यान ही नहीं जाता.