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Reality Check : बारिश में मच्छरों को रोकने का निगम ने किया अचूक उपाय ! Untrained Staff के भरोसे कर दी 'मलेरिया शाखा'

राजधानी मच्छरों के प्रकोप से कैसे बचे इसका सटीक उपाय निकाला है नगर निगम ने. हर वर्ष की तरह आम जनजीवन के लिए खतरे का सबब बनने वाले मच्छरों को पनपने से रोकने की कवायद बखूबी की जा रही है. कीटनाशक छिड़काव के जरिए. खास बात ये है कि इस अति महत्वपूर्ण कार्य की बागडोर मलेरिया शाखा के Untrained कर्मचारियों ने उठा रखी है. ETV भारत के कैमरे की नजरों से देखिए कि कैसे मच्छरों (Anti-Larva Activity) की रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं.

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Published : Aug 8, 2021, 8:30 AM IST

Updated : Aug 8, 2021, 2:20 PM IST

Untrained staff managing the Malaria Shakha
Untrained Staff भरोसे मलेरिया शाखा

जयपुर:नीम हकीम खतरा ए जान यूं ही नहीं कहा जाता. मर्ज का पता न हो तो जीना दूभर हो सकता है. ये कहावत जयपुर नगर निगम चरितार्थ करा रहा है. मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए छिड़काव का अचूक तरीका तो निकाला है मगर इसकी कमान सौंपी है Untrained Staff को.

Untrained Staff सहारे मलेरिया की रोकथाम

दरअसल, राजधानी में मानसून के दौरान जलभराव वाले स्थानों पर कीटनाशक छिड़काव किया जा रहा है. प्रत्येक जोन में एंटी लार्वा एक्टिविटी (Anti-Larva Activity) के तहत वार्ड वाइज कार्यक्रम (Ward Wise Programme) बनाया गया है. दोनों ही निगमों में स्वास्थ्य शाखा ट्रेंड अधिकारी-कर्मचारियों के बजाए, सफाई कर्मियों पर भरोसा जता रहा है. जिन्हें ये तक नहीं पता कि उस कीटनाशक का इस्तेमाल कहां और किस मात्रा में करना है.
Reality Check : जान पर खेलकर काम कर रहे हैं मजदूर, कहीं लेबर की लापरवाही और कहीं मॉनिटरिंग नहीं
निगमों की सोच अच्छी है. कोरोना (Corona) के दंश को झेल चुके जयपुर वाले मानसूनी सीजन (Monsoon Season 2021) में मलेरिया (Malaria) और डेंगू (Dengue) से रूबरू ना हों, इसलिए निगम प्रशासन शहर में एंटी लार्वा एक्टिविटी (Anti-Larva Activity) करवा रहा है. जिसके तहत जयपुर शहर में नालियों, सार्वजनिक शौचालय और कचरागाहों पर छिड़काव कराया जा रहा है. हेरिटेज (Jaipur Municipal Corporation Heritage) और ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Nagar Nigam) टेमीफॉस और जले हुए ऑयल का छिड़काव (Biomedical And Insecticide Temephos) जलभराव वाले स्थानों पर कर रहे हैं.

टेमीफॉस का इस्तेमाल साफ पानी में जबकि जले हुए ऑयल का इस्तेमाल गंदे पानी में किया जाना है. सीएम हाउस (CM House) से लेकर जिला कलेक्ट्रेट ( District ​Collectorate), निगम कार्यालय, संभागीय आयुक्त कार्यालय, जनोपयोगी भवन और राजकीय चिकित्सालयों में नियमित रूप से एंटी लार्वा एक्टिविटी (Anti-Larva Activity) की जा रही है. नगर निगम प्रशासन (Nagar Nigam Administration) की ओर से इसे कारगर पहल जरूर कहा जा सकता है.

पहल में एक दाग है, जो अच्छा तो कतई नहीं है. लापरवाही की इसे इंतेहा ही कहेंगे कि जिम्मेदारी सौंपी गई है Untrained Staff को. हेरिटेज निगम की अगर बात की जाए तो इस काम के लिए 25 टीम बनाई गई है. प्रत्येक टीम में 3 सदस्य शामिल है और ये तीनों ही सदस्य सफाई कर्मचारी हैं. जिन्हें ये नहीं पता कि पानी में केमिकल का मिश्रण किस अनुपात (Ratio Of Mixture) में करना है, किस केमिकल (Chemical) को कहां इस्तेमाल करना है. हालांकि निगम अधिकारियों का तर्क है कि मलेरिया शाखा में कुछ परमानेंट स्टाफ लगा हुआ है, उनके सुपरविजन में ये सारा काम किया जाता है.

कीट नियंत्रण विशेषज्ञों (Pest Control Specialists) के अनुसार केमिकल के उपयोग पर नियंत्रण के लिए एंटी लार्वा एक्टिविटी (Anti-Larva Activity) के दौरान एंटोमॉलोजिस्ट (Entomologist) या इंस्पेक्टर (Inspector) का होना जरूरी है, जबकि नगरीय निकायों में ये पद स्वीकृत ही नहीं है. इसका तरीका भी सहूलियत के हिसाब से ईजाद कर लिया गया है. सफाई कर्मचारियों को ही सिफारिश के आधार पर प्रमोट करके. जी हां, उन्हें पदोन्नति दे सुपरवाइजर या इंस्पेक्टर बना दिया जाता है. इनमें भी अधिकतर सफाई कर्मचारी वो हैं, जो वाल्मीकि समाज से नहीं आते.

Last Updated : Aug 8, 2021, 2:20 PM IST

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