जयपुर. राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव अब दिलचस्प होते जा रहे हैं. नागौर जिला क्रिकेट संघ के सचिव आर एस नान्दू का कहना है कि वैभव गहलोत राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद की कुर्सी को छोड़ दें, क्योंकि उनका कार्यकाल पूरा हो गया है. वहीं गहलोत गुट का कहना है कि वे संविधान के अनुरूप ही काम कर रहे हैं.
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव से जुड़ा मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया (RCA election case in High court) है. कुछ दिनों पहले ही हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने आरसीए के चुनाव पर अंतिरम रोक लगाई थी. जिस पर अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी. इससे पहले आररसीए की अपील पर खंडपीठ 10 अक्टूबर को सुनवाई करेगी. लेकिन राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव से जुड़ी प्रक्रिया पर रोकथाम के बाद भी नान्दू और गहलोत गुट एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.
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नागौर जिला क्रिकेट संघ के सचिव नान्दू का कहना है कि 3 अक्टूबर को आरसीए के अध्यक्ष वैभव गहलोत और उनकी कार्यकारिणी का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन अभी भी पर अपने पद पर जमे हुए हैं. ऐसे में अब हम इस मामले की बीसीसीआई से शिकायत करेंगे और बीसीसीआई से दरख्वास्त करेंगे कि राजस्थान की क्रिकेट रुके नहीं, इसके लिए उनकी ओर से एक ऑब्जर्वर नियुक्त किया जाए.
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नान्दू गुट ने एतराज जताते हुए कहा है कि 3 अक्टूबर तक मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल था. लेकिन 30 सिंतबर को ही एजीएम की बैठक कर आरसीए ने मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल तब तक बढ़ा लिया जब तक चुनाव नहीं हो जाते. स्पोर्ट्स एक्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कार्यकाल पूरा होने के बाद कार्यकारिणी को अपना पद छोड़ना पड़ता है. इसके अलावा गहलोत गुट पर आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा कार्यकारणी ने संविधान से छेड़छाड़ भी की है.
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आरोप निराधार: वहीं मामले को लेकर राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव महेंद्र शर्मा का कहना है कि जो भी आरोप नान्दू गुट की ओर से लगाए गए हैं, वे निराधार हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश क्रिकेट के संविधान में स्पष्ट है कि जब तक नई कार्यकारिणी का गठन नहीं हो जाता है, तब तक पुरानी कार्यकारिणी काम कर सकती है.
संविधान में छेड़छाड़ के आरोपों पर आरसीए सचिव ने कहा कि संविधान सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों के आधार पर बना हुआ है. हमारी बिना चुनाव के कार्यकरणी में बने रहने की कोई मंशा नहीं है. शर्मा ने कहा कि स्पोर्ट्स एक्ट के अनुसार जब तक नई बॉडी गठित नहीं होगी, तब तक आरसीए की पुरानी बॉडी काम करती रहेगी. उन्होंने साल 2014 में भी ऐसा होने का हवाला दिया. जब आरसीए में चुनाव पर रोक लगी थी. रिजल्ट घोषित होने पर भी पुरानी कार्यकारणी प्रभावी थी.