जयपुर.राजस्थान में वर्ष 2017 में विभिन्न सरकारी विभागों के कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को करप्ट करने वाला रैंसमवेयर वायरस एक बार फिर से चर्चाओं में है. इस वायरस को लेकर एक बार फिर से सरकार की ओर से अलर्ट जारी किया गया है और तमाम सरकारी विभागों के सिस्टम को अपग्रेड रखने व किसी भी अननोन ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक करने से बचने के निर्देश दिए गए (How to prevent ransomware attack) हैं.
यह वायरस एक चेन सिस्टम पर काम करता है जो वाईफाई और इंटरनेट कनेक्शन से कनेक्ट तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को करप्ट कर देता है. करप्ट फाइल या डाटा को फिर से हासिल करने के लिए वायरस सरवर पर भेजने वाले साइबर हैकर्स के जरिए डॉलर या बिटकॉइन के रूप में फिरौती मांगी जाती (Cyber crime through virus attacks) है. इसीलिए इस वायरस का नाम रैंसमवेयर वायरस पड़ा है.
रैंसमवेयर एक तरह का मॉलवेयर:साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस एक तरह का मॉलवेयर है जो सरवर के माध्यम से कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को प्रभावित करता है. इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मौजूद तमाम डाटा को करप्ट कर देता है और उस डाटा को रिकवर करने की एवज में बिटकॉइन के रूप में फिरौती मांगी जाती (Hackers sought ransom in Bitcoin) है. यह वायरस एजुकेशन सिस्टम, प्राइवेट कंपनी के सिस्टम और सरकारी सिस्टम को अपना निशाना बनाता है. यह तमाम डाटा को लॉक कर देता है और उसे फिर से एक्सेस करने की एवज में बिटकॉइन के रूप में 200 से 1000 डॉलर तक की फिरौती हैकर्स मांगते हैं. फिरौती लेने के बाद सिस्टम की तमाम फाइल को हैकर्स अनलॉक कर देते हैं और फिर यूजर उसका फिर से इस्तेमाल कर पाता है.
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ईमेल स्पूफिंग के जरिए करता है वायरस अटैक:भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस को साइबर हैकर्स ईमेल स्पूफिंग के जरिए किसी बड़ी कंपनी या यूजर के सिस्टम तक पहुंचाते हैं. साइबर हैकर्स भारत सरकार, विभिन्न बैंक, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट और गूगल नोटिफिकेशन के नाम से असली वेबसाइट से हू-ब-हू मिलती-जुलती वेबसाइट व ईमेल आईडी के माध्यम से यूजर को ईमेल भेजते हैं. उस ईमेल के साथ साइबर हैकर्स एक पीडीएफ फाइल अटैच करके भेजते हैं. इस पीडीएफ फाइल में बाइंडिंग टेक्नोलॉजी के तहत मॉलवेयर को बैंड करके भेजा जाता है. जैसे ही यूजर ईमेल में अटैच फाइल को डाउनलोड करता है वैसे ही वायरस यूजर के सिस्टम और उस सिस्टम से जुड़ी हुई तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर एक साथ अटैक करता है.
सिस्टम में अपग्रेड रखें एंटी मॉलवेयर:भारद्वाज ने बताया कि अमूमन यह देखा जाता है कि रैंसमवेयर वायरस सरकारी सिस्टम को अपना निशाना बनाते हैं. क्योंकि सरकारी सिस्टम पर आम लोगों का डाटा मौजूद रहता है जिसका उपयोग साइबर हैकर्स गलत तरीके से भी कर सकते हैं. सरकारी सिस्टम में एंटी मॉलवेयर डाउनलोड तो होता है, लेकिन उसे समय-समय पर अपडेट नहीं किया जाता, जिसके चलते यह वायरस बड़ी आसानी से सरकारी सिस्टम पर अटैक कर देता है. इस वायरस के अटैक से बचने का पहला तरीका यही है की सरवर से जुड़े हुए तमाम नेटवर्क व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डाउनलोड किए गए एंटी मॉलवेयर को समय-समय पर अपग्रेड किया जाए.