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किसान महापंचायत ने लगाया केंद्र सरकार पर PM-AASHA स्कीम की अनदेखी का आरोप

किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने केंद्र सरकार पर 'प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान' की अनदेखी का आरोप लगाया. उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री से पत्र लिखकर राज्य में कुल खरीद की 25 प्रतिशत की सीमा में शेष 55,250 मीट्रिक टन चने की खरीद करने और 69,209 किसानों के 880.96 करोड़ रुपए का भुगतान 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से देने की मांग की.

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Published : Aug 7, 2020, 3:36 PM IST

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PM-AASHA स्कीम का पालन नहीं कर केंद्र सरकार किसानों को घाटे में धकेल रही है

जयपुर.किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर को पत्र लिखकर 25 प्रतिशत की सीमा में शेष रहे 55,250 मीट्रिक टन चना खरीद की स्वीकृति और किसानों के बकाया भुगतान को 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से देने की मांग की है. रामपाल जाट ने बताया कि 69,209 किसानों का 880.96 करोड़ रुपए का भुगतान अभी नहीं हुआ है.

रामपाल के अनुसार केंद्र सरकार ने चना खरीद के सम्बन्ध में किसानो की सुरक्षार्थ मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत 'प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की घोषणा कर उसकी मार्गदर्शिका तैयार की थी. इस मार्गदर्शिका के अनुसार 55,250 मीट्रिक टन चना खरीदने के पूर्व ही केंद्र सरकार ने चने की खरीद बंद कर दी. जिससे किसानों को एक क्विंटल पर 1000 से लेकर 1200 रुपए तक का घाटा उठाने पर विवश होना पड़ रहा है.

किसानों के 880.96 करोड़ रुपए का भुगतान 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से देने की मांग

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किसानों को हो रहा है नुकसान

चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4875 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि मंडी एवं बाजार में चने का भाव 3600 से लेकर 3800 रुपए प्रति क्विंटल तक है. भावों में अस्थिरता और न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव रहने पर किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए छाते के रूप में यह योजना लायी गई थी. किसानों को उनकी उपजों के सुनिश्चित लाभकारी मूल्य देने के प्रयोजन से यह योजना आरंभ की गई. उसके उपरांत भी चने के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्यों से निरंतर कम होते हुए भी केंद्र सरकार ने खरीद बंद कर योजना के प्रायोजन को ही विफल कर दिया है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार की मार्गदर्शिका के अनुसार कुल उत्पादन का 25% की सीमा में से 2.07 प्रतिशत के अनुसार 55,250 मीट्रिक टन चने की खरीद भी बाकी है.

केंद्र सरकार ने नहीं की 25 प्रतिशत फसल की खरीद

रामपाल ने बताया कि मार्गदर्शिका के अनुसार राज्यों द्वारा संभावित उत्पादन, उत्पादकता एवं उपज की बुवाई के क्षेत्रफल संबंधी आंकड़े केंद्र सरकार को भेजे जाते हैं, उन्हीं के आधार पर 25 प्रतिशत की सीमा में से खरीद का लक्ष्य राज्यों के लिए निर्धारित किया जाता है. उन आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में खरीद की स्वीकृत सीमा राज्य की ओर से 6,71,346.25 मीट्रिक टन का प्रस्ताव भेजा गया था. तब भी केंद्र सरकार द्वारा 6,15,750 मीट्रिक टन का लक्ष्य आवंटित किया गया. केंद्र सरकार द्वारा कुल उत्पादन 26,85,385 मीट्रिक टन का 25% की सीमा तक की गणना में भूल की गयी, इस भूल को सुधारने की आवश्यकता है, किन्तु केंद्र सरकार उसे भूल नहीं मान कर उसी को सही सिद्ध करने में लगी हुई है. इसके लिए केंद्र तृतीय अग्रिम अनुमान 24,67,110 मीट्रिक टन को उत्पादन को आधार बनाना चाह रही है. जबकि यह आंकड़ा 1 जून को प्रेषित किया गया था. यानी उस समय यह आंकड़ा अस्तित्व में ही नहीं था.

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इस प्रकार 25 प्रतिशत की सीमा तक 55,250 मीट्रिक टन चने की खरीद शेष होते हुए भी केंद्र सरकार इसकी स्वीकृति प्रदान नहीं कर रही है. जबकि प्रदेश के किसानों के अनुनय-विनय के अतिरिक्त राजस्थान राज्य की ओर से लगातार पत्राचार किया जा रहा है. उसी दिशा में मुख्यमंत्री की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है, तब भी केंद्र सरकार राज्य की 8 करोड़ जनता की न्यायसंगत विनती को भी अनसुना कर रही है. यह केंद्र द्वारा तैयार की गयी मार्गदर्शिका के प्रावधानों का उल्लंघन है.

दूसरी ओर सरकार द्वारा किसानों से उपज खरीदने के बाद 3 दिन में भुगतान करने का मार्गदर्शिका में उल्लेख है, किन्तु सरसों, चना, गेहूं के 69,209 किसानों का 880.96 करोड़ रुपए का तीस दिनों तक भी किसानों को भुगतान नहीं किया गया है. रामपाल ने केंद्र सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाया. उन्होंने केंद्र सरकार पर 'चित्त भी मेरी और पट्ट भी मेरी' कहावत के अनुसार काम करने का आरोप लगाया.

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