जयपुर.आगामी केंद्रीय बजट को लेकर किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि किसान की खुशहाली के बिना आजादी अधूरी है. खुशहाली के दो आयाम ऋण मुक्ति और पूरे दाम हैं. इसलिए किसानों के हित देखते हुए केंद्रीय बजट में कृषि में स्वावलंबन एवं गांव में स्वायत्तता को प्राथमिकता दी जानी (demands for farmers in Union budget) चाहिए. इसके लिए किसानों और ग्रामीणों की क्षेत्रों की संख्या के अनुपात में बजट राशि का आवंटन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए होना चाहिए. रामपाल जाट ने रविवार को एक बयान जारी कर यह बात कही.
रामपाल जाट ने कहा कि आय में असमानता को कम करने के लिए प्रयास बजट में परिलिक्षित होने चाहिए. ऐसी सामाजिक व्यवस्था बने, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं को अनुप्राणित करते हुए, उसकी प्रभावी स्थापना और संरक्षण द्वारा लोक कल्याण की अभिवृद्धि के प्रयास दिखते हों. उन्होंने कहा कि अभी देश में गरीब, अधिक गरीब तथा अमीर, अधिक अमीर हो रहे हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के आंकड़ों से स्पष्ट है कि वर्ष 2015-16 के बाद 5 वर्षों में 20 प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों की आय 53 प्रतिशत घटी और इसी अवधि में सबसे अधिक अमीर वर्ग की आय में 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.
उन्होंने कहा कि फार्मा कंपनियों का लाभांश 124 फीसदी बढ़ा है. पेटेंट कानून की आड़ में लूट जारी है. यह सरकारों के बिना संरक्षण एवं सहयोग के संभव नहीं है. असमानता को दूर करने के लिए अवसरों की समान रूप से उपलब्धता होनी चाहिए, जिसे बजट में परिलक्षित होना चाहिए. इसके लिए सरकार को आर्थिक रूप से कमजोरों के साथ खड़े रहने की दिशा का संकेत बजट में देना चाहिए. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 2003—2005 के मध्य किये गए सर्वेक्षण के अनुसार किसानों की आय मजदूरों से भी कम थी.