जयपुर. दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) का 62 साल की उम्र में रविवार को निधन हो गया. वे पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे. 5 जुलाई 1960 को जन्मे राकेश झुनझुनवाला ने 14 अगस्त 2022 को मुम्बई में अंतिम सांस (rakesh jhunjhunwala death) ली. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बॉलीवुड, क्रिकेट और राजनीतिक जगत से जुड़ी कई हस्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की है. राकेश झुनझुनवाला ने 1985 में महज 5 हजार रुपए की कैपिटल के साथ निवेश की शुरुआत की थी. आज उनके पोर्टफोलियो की नेटवर्थ 25,425.9 करोड़ रुपए से ज्यादा (Rakesh Jhunjhunwala portfolio) है.
भारतीय स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला डायबिटीज के मरीज थे. ऐसे में उनके पैर में सूजन रहती थी और वे ठीक से चल-फिर नहीं सकते थे. इसलिए पिछले कई साल से राकेश झुनझुनवाला व्हील चेयर पर नजर आते थे. 5 अक्टूबर 2021 को राकेश झुनझुनवाला पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने आए थे, तब भी वे भी व्हील चेयर थे. सोशल मीडिया पर राकेश झुनझुनवाला का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वे व्हील चेयर पर बैठे-बैठे ही कजरारे कजरारे गाने पर डांस कर रहे थे.
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झुंझुनू से रहा है 'बिग बुल' का नाता- राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) को उनके सरनेम से इसलिए पहचान मिली, क्योंकि उनके पूर्वजों की जड़े राजस्थान से जुड़ी (Rakesh Jhunjhunwala Rajasthan Connection) हुई थी. जैसे सिंघानिया उद्योगपति मूलरूप से झुंझुनू के सिंघाना कस्बे के हैं. उसी प्रकार से पीरामल समूह ने पीरामल सरनेम अपने दादा सेठ पीरामल के नाम से ले रखा है. इसी तरह से राकेश का परिवार मलसीसर से कानपुर जाकर बसा, तो इन्हें झुंझुनू जिले के होने के कारण झुनझुनवाला कहा जाने लगा था, जो बाद में इनका सरनेम (jhunjhunwala Surname story) बन गया.
राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) मूलरूप से झुंझुनू जिला मुख्यालय से करीब 42 किलोमीटर दूर स्थित मलसीसर कस्बे के रहने वाले थे. मलसीसर से राकेश झुनझुनवाला के दादा परिवार समेत उत्तर प्रदेश के कानपुर चले गए थे. वहां पर उन्होंने सिल्वर का कारोबार किया और सिल्वर किंग कहलाए.
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झुनझुनवाला परिवार की रानी सती माता में आस्था- झुंझुनू जिला मुख्यालय पर श्री राणी सती दादी मंदिर है. जिसमें राकेश झुनझुनवाला के परिवार की भी गहरी आस्था है. इनका परिवार अक्सर राणी सती मंदिर आता रहता है. खुद राकेश झुनझुनवाला इसी साल जनवरी-फरवरी में यहां आए थे. राणी सती को अग्रवाल बनियों की कुलदेवी भी कहा जाता है.
राकेश झुनझुनवाला के पिता राधेश्याम झुनझुनवाला आईआरएस अधिकारी थे. हैदराबाद, कोलकाता और मुम्बई में आयकर आयुक्त के रूप में उन्होंने सेवाएं दी. हैदराबाद पोस्टिंग के दौरान 5 जुलाई 1960 को राकेश का जन्म हुआ. राकेश झुनझुनवाला की झुंझुनू के जाने-माने परिवार जगदीश प्रसाद झाबर टीबरेवाला में रिश्तेदारी है. बाल किशन टीबरेवाला बताते हैं कि वे उनके पिता की बुआ के पड़पोते थे. रिश्ते में भतीजे लगते थे. उनके पिता राधेश्याम झुनझुनवाला चूड़ेला में जेजेटी विश्वविद्यालय की नींव रखी तब आए भी थे. भाई राजेश झुनझुनवाला भी अक्सर आते रहते थे.
5 हजार रुपए के साथ रखा कदम- झुनझुनवाला को शेयर मार्केट का बेताज बादशाह माना जाता है. यहीं नहीं शेयर मार्केट के अलावा वो फिल्म क्षेत्र में भी हाथ आजमा चुके हैं. उन्होंने इंग्लिश विंग्लश, शमिताभ सहित कुछ फिल्मों को प्रोड्यूस भी किया था. महज 5 हजार रुपए से शेयर मार्केट में कदम रखने वाले झुनझुनवाला के बताए शेयर में निवेशक निवेश करने के लिए 2 बार नहीं सोचते. झुनझुनवाला ने लोगों के बीच मेहनत के दम पर अपनी पहचान बिग बुल ऑफ इंडिया के रूप में बनाई. स्टॉक मार्केट में वो किंग ऑफ बुल मार्केट के नाम से भी मशहूर थे.