जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने पीसीसी चीफ और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को पत्र लिखकर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए ग्राम पंचायतों को पैसा हस्तांतरित करने की मांग की है.
राजेंद्र राठौड़ ने केंद्रीय और राज्य वित्त आयोग की राशि को सीधे पंचायतों के खाते में हस्तांतरित करने के प्रावधान का जिक्र करते हुए यह मांग की. पत्र में उन्होंने लिखा कि साल 2019 के लिए 1840 करोड़ रुपए की राशि की दूसरी किश्त, केंद्र की ओर से राज्य सरकार को जारी की जा चुकी है. नियमों के तहत इस राशि को सीधे पंचायती राज संस्थानों के खाते में हस्तांतरित किया जाएं. लेकिन दुख इस बात का है की इस राशि को पंचायत समितियों के पीडी खाते में हस्तांतरित किया गया है. जिसे राज्य सरकार काम में ले रही है.
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राठौड़ ने अपने पत्र में लिखा कि 5 महीने बाद भी 960 करोड़ रुपए अभी तक ग्राम पंचायतों के खातों में हस्तांतरित नहीं किए गए है. राठौड़ ने पत्र के जरिए संविधान के 73वें संशोधन का हवाला भी दिया और कहा की राज्य वित्त आयोग पंचम की पहली किश्त 1086 करोड़ और 2036 करोड़ रुपए जनवरी तक पंचायती राज संस्थानों के खातों में सीधा हस्तांतरित किया जाना चाहिए था. लेकिन यह पैसा अभी तक ट्रांसफर नहीं किया गया है.
प्रतिपक्ष के उपनेता राठौड़ ने अपने पत्र में पंचायत राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा 30 मार्च को सोडियम हाइपोक्लोराइट, सैनिटाइजर, मास्क और हाथों के दस्ताने के लिए वित्तीय स्वीकृति का जो प्रस्ताव कर दिया गया, लेकिन वित्त आयोग के मद से इसके लिए एक भी रुपए गांव में हाइपोक्लोराइट के छिड़काव के लिए अब तक जारी नहीं किए.
उन्होंने लिखा कि ग्राम पंचायतों के पास पैसा नहीं है. ऐसे में छुटकारा कैसे होगा. राठौड़ ने यह भी कहा कि अब हाल ही में विभाग के विशिष्ट शासन सचिव ने एक आदेश जारी किया है. जिसमें ग्राम पंचायतों के खातों में उपलब्ध राशि और ब्याज के साथ ही अन्य स्त्रोतों से जो भी आए प्राप्त हुई है. उस राशि को कोरोना संक्रमण की रोकथाम में इस्तेमाल करें. साथ ही ग्राम पंचायत सहायकों के मानदेय में उपयोग ले.
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तत्काल उपलब्ध कराए राशि वरना कैसे होगा बचाओ
प्रतिपक्ष के उपनेता ने सचिन पायलट को लिखे पत्र में प्रदेश के 45 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त होने की बात की थी और साथ ही यह भी लिखा की उनके खातों में कुछ हजार रुपए की राशि भी मौजूद नहीं है. जिसके कारण ना तो ग्राम सहायकों को मानदेय मिल पा रहा है और ना ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए उचित काम हो पा रहे हैं. ऐसे में 5 महीने पहले दी जाने वाली 1086 करोड़ रुपए की राशि इन्हें तत्काल उपलब्ध कराई जाना चाहिए.