जयपुर.राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की ओर से अडानी पावर को 506 करोड़ रुपये लौटाए जाने के दिए गए नोटिस पर सियासी बवाल शुरू हो गया है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मामले में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए पूर्व में बिजली उपभोक्ताओं से वसूले गए 2627 करोड़ रुपए उपभोक्ताओं को पुनर्भरण करने की भी मांग की है.
रविवार को लिखे गए पत्र में राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा कि अडानी पावर और राजस्थान डिस्कॉम्स के बीच वर्ष 2010 में कवई में 1320 मेगावाट क्षमता की विद्युत उत्पादन का एमओयू हुआ था. इसके अर्न्तगत अडानी पावर को सरकारी स्तर पर कोयला नहीं मिलने से कंपनी की ओर से उर्जा विकास निगम के लिए मंहगी दरों पर विदेश (इन्डोनेशिया) से कोयला आयात कर विद्युत उत्पादन किया गया था.
राज्य स्तर पर कोयला नहीं मिलने के कारण कंपनी ने विदेश और स्थानीय स्तर पर कंपनी में कोयला खरीदा. इससे कोयले की दरों में भारी अंतर आया जिसके के कारण मार्च 2021 में 5637 करोड़ रुपये का कंपनी की ओर से राजस्थान उर्जा उत्पादन निगम से क्लेम किया गया था. कंपनी के क्लेम का प्रकरण विभिन्न चरणों से गुजरता हुआ सर्वोच्च न्यायालय तक गया. राजस्थान उर्जा विकास निगम के उच्च अधिकारियों की अडानी पावर के साथ मिली भगत के कारण से सर्वोच्च न्यायालय में उचित पैरवी और तर्क पूर्ण कार्यवाही नहीं हो पाई. इसके कारण राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं पर अडानी पावर के क्लेम के 5637 करोड़ रुपये भुगतान का भार अनावश्यक रूप से आ गया.
आश्चर्य की बात है कि बिजली उत्पादन के बदले कोयला भुगतान के अतिरिक्त राशि के रूप में 4680 करोड़ रुपये का क्लेम और 1459 करोड़ रुपये का कोयला कैरिंग चार्ज के क्लेम की गणना को स्वीकार्य करने वाले तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत के पश्चात अब अडानी पावर के सभी क्लेम को खारिज कर राजस्थान डिस्काम को अडानी पावर की ओर से 506 करोड़ रुपये लौटाने का नोटिस दिया गया है. पिछले 36 महीनों में राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं पर 5 पैसे प्रति यूनिट बिजली की दरों में वृद्धि का भार डाल राशि वसूली जा रही है. अबतक डिस्कॉम ने वसूल की गई राशि सहित 2627 करोड़ रुपये का भुगतान भी अडानी पावर को कर दिया है.