जयपुर. राजस्थान पुलिस का एक बार फिर एक घिनौना चेहरा सामने आया है. हत्या के जिस आरोप में सिरोही निवासी गेमाराम गरासिया जेल में बंद किया गया है, वही हत्या के दिन बाली जेल में बंद था. यह मामला मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने उजागर किया और इस संबंध में मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र को ट्वीट भी किया. जिस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने तीखा कटाक्ष (Rajendra Rathore targets CM via Sanyam Lodha tweet) किया.
राठौड़ ने संयम लोढ़ा के ट्विट को रीट्वीट कर लिखा कि झाडोली वीर, सिरोही में 25 मई, 2018 को हुई हत्या के मामले में सिरोही जेल में बंद निर्दोष गेमाराम गरासिया हकीकत में हत्या वाले दिन जेल में बंद था, लेकिन पुलिस ने झूठी कार्रवाई के तहत उसे फंसा दिया, जिसकी सच्चाई जेल मंत्री के दौरे और बाली जेलर की अधिकारिक पुष्टि के बाद सामने आई. राठौड़ ने लिखा कि पुलिस के झूठे केसों के कारण निर्दोष नागरिक जेल में बंद होंगे. राठौड़ ने लिखा कि मुख्यमंत्री कम से कम अपने कार्य को गंभीरता से लेकर इस मामले में न्यायिक जांच करवाएं.
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इससे पहले लोढ़ा ने सोमवार को एक ट्वीट कर मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र पोस्ट किया. इसमें 2 अप्रैल को जेल मंत्री टीकाराम जूली और खुद के द्वारा सिरोही जेल का दौरा करने पर सामने आई घटना का जिक्र किया. लोढ़ा ने लिखा कि हत्या प्रकरण में जेल में बंद एक अन्य मुलजिम हेमाराम ने बताया कि जिस दिन (25 मई, 2018) को हत्या की घटना हुई थी, उस दिन से पहले ही वह 2 अप्रैल, 2018 से 29 मई, 2018 तक पाली जेल में बंद था. लोढ़ा ने यह भी कहा कि जेल मंत्री और मैंने बाली जेल के जेलर से गेमाराम गरासिया के जेल में बंद होने की जानकारी के लिए वार्ता की और आधिकारिक रिकॉर्ड मांगा. रिकॉर्ड में सूचना सही पाई गई कि उस समय पीड़ित गेमाराम बाली जेल में बंद था.
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सिरोही जिले में हत्या के मामले में निर्दोष को गिरफ्तार करने का लगातार यह दूसरा मामला है. सिरोही में इससे पहले बरलूट थाने में 26 मई, 2008 को हत्या और लूट के मामले में पहले ही एक निर्दोष लखमाराम देवासी को गिरफ्तार किया था. उसे 4 साल जेल में रखने के बाद उसके निर्दोष होने की रिपोर्ट पेश की गई थी. लोढ़ा ने इस मामले में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई करने की मांग की और निर्दोष गेमाराम को जीवनयापन के लिए उचित मुआवजा राशि देने का भी आग्रह किया. साथ ही गेमाराम को रिहा कराने के लिए सीआरपीसी 169 के तहत कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने का आग्रह किया.