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फ्यूल सरचार्ज वसूली पर सियासत, राजेंद्र राठौड़ ने कहा-16 पैसे प्रति यूनिट की वसूली के नाम पर आम आदमी की कमर तोड़ दी

राजस्थान में बिजली के बिल में फ्यूल सरचार्ज वसूली को लेकर बीजेपी ने गहलोत सरकार (Gehlot government) को घेरा है. राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने कहा कि फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 225 करोड़ रु का अतिरिक्त भार विद्युत उपभोक्ताओं पर लाद दिया है.

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Published : Aug 7, 2021, 10:50 PM IST

Gehlot government, Jaipur news
राजेंद्र राठौड़ का गहलोत सरकार पर निशाना

जयपुर. प्रदेश में बिजली के बिल में फ्यूल सरचार्ज वसूली पर सियासत गरमा गई है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि 16 पैसे प्रति यूनिट की वसूली के नाम पर आम आदमी की कमर तोड़ दी है.

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि हाल ही में अगस्त के प्रथम सप्ताह में बिजली बिलों में 800 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज में बढ़ोतरी की गई है. जिसके बाद अब कांग्रेस सरकार ने एक बार फिर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 225 करोड़ रु का अतिरिक्त भार विद्युत उपभोक्ताओं पर लाद दिया है. सरकार 16 पैसे प्रति यूनिट की वसूली के नाम पर आम आदमी की कमर तोड़ने की तैयारी में है.

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राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस अपने 2.5 साल के कार्यकाल के दौरान विद्युत उत्पादन में वेरिएबल कोस्ट बढ़ने के नाम पर फ्यूल चार्ज में औसतन 42 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार लाद चुकी है. जो कि पूर्ववर्ती भाजपा शासन के समय महज 27 पैसे प्रति यूनिट ही था. फ्यूल सरचार्ज की यह राशि सितंबर और अक्टूबर माह में जारी होने वाले बिलों में जुड़कर आएगी. जिससे कोरोना काल में पहले से लड़खड़ाई विद्युत उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति और ज्यादा विकट होगी.

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राठौड़ ने कहा कि वर्तमान में कांग्रेस सरकार प्रदेश के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं की जेब से शहरी सेस के नाम पर 15 पैसे प्रति यूनिट, विद्युत शुल्क के नाम पर 40 पैसे प्रति यूनिट, जल संरक्षण उपकर के नाम पर 10 पैसे प्रति यूनिट की राशि का अतिरिक्त बोझ लादकर विद्युत उपभोक्ताओं को महंगाई का करंट दे रही है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार अपने जन घोषणा पत्र में प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शत प्रतिशत और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने, बिजली में हो रही छीजत और चोरी रोकने का दावा किया था लेकिन जनता से किए इन तमाम दावों में राज्य सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. जिसका ही परिणाम है कि ईमानदारी उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज का प्रत्यक्ष भार डालकर उनकी कमर तोड़ी जा रही है. महंगी दरों पर बिजली खरीदनने और बिजली चोरी व छीजत रोकने में राज्य सरकार की नाकामी से उत्पन्न घाटे की भरपाई का वित्तीय भार आम उपभोक्ताओं पर लादने की कार्यशैली दुर्भाग्यपूर्ण है.

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